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View of बड़वानी क्षेत्र की जनजातियों और उपजातियों का परिचय व सामाजिक संरचना एवं सामाजिक संगठन

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बड़वानी ऺेत्र की जनजातियों और उपजातियों का पररचय सामाजजक संरचना एवं सामाजजक संगठन

Dr. Omna Senani

Political Science, Assistant Professor, Govt. Nehru PG College Deori Dist. Sagar (MP)

प्रस्िावना

बीर शब्द तमभर बाषा के 'बफर' शब्द से फना है, जजसकाअथथएकप्रकायकाधनुषहै, जोद्रविड़बाषाके

ऩमाथमके रूऩभें उत्ऩन्न हुआहै। हीयारारऔययसेर नेबी अऩनीऩुस्तकभें मरखाहै ककबीरद्रविड़बाषा

शब्दव्मुत्ऩन्नहुआहै, जजसकातात्ऩमथधनुषहै।' डॉ. नेभीचॊद जैन ने बी बीर शब्द की

उत्ऩजत्त का उल्रेख ककमा है, उनके अनुसाय- 'बीर' शब्दसॊस्कृतबाषाकेमबल्रशब्दकातद्भिरूऩहै, जो

स्िमॊसॊस्कृत कीबर ्-बफर ्- बेदेन्धातु काभूर शब्द है।सॊस्कृतभें मबल्रशब्दम्रेच्छऔयजाततदोनोंके

मरएप्रमुक्त 2 हुआहै।

भहाबायतभें चायिणोंकोरेकयजोयॊगबेद आमे हैं उनभें शूद्र, अमसत, भेचक भाने गमे है। शूद्र औय तनषाद कई शताजब्दमों तक अमबन्न शब्द यहे।

बेद केिर इतना यहा, कक शूद्र शब्द उन तनषादों के

मरएकाभभें आमा, जजन्होंनेआमोंकेिणथिणथसॊफॊधी

ढाॉचेकोआॊमशक रूऩसे स्िीकायकयमरमाऔयिेजो

तनषादकहरामेजोस्ितॊत्रसत्ताफनामेयहे।

“याफर्थ शेपयसे दृष्र्ता के साथकहा है, कक ऐसेतनशादोंकोऩॊचभिणथकेरूऩभेंअॊगीकायककमा।’’

इसी आधाय ऩय याफर्थ शेपय ने तनषादों को

बीरों का ऩुयखा कहा गमा है। उत्तयकारी सॊस्कृत साहहत्म भें भनु ने तनषाद की उत्ऩजत्तब्राह्भण वऩता

औयशूद्रभाताकीसॊताकेरूऩभें प्रततिाहदतककमा। ' यसेर औय हीयारार के अनुसाय सन् 600 ई. से मह शब्दप्रमोग भेंआमा, जजसकेऩूिथमह जाततसम्बित्

ऩुमरॊद, शब्दऔयिनऩुत्रोंकेनाभोंसेविख्मातथी। "

ितथभान भें बायत भें बीरों का िास भध्मप्रदेश, याजस्थान, गुजयात औय भहायाष्र भें

प्रभुखरूऩसेतनिासयतहै।भध्मप्रदेशकेऩिथतीमऺेत्रों

भें बी बीरों का विस्ताय अधधक है। महाॉ मे रोग झाफुआ, ऩजचचभी तनभाड़, धाय, यतराभ, फड़िानी

आहदस्थानोंभें प्रभुखरूऩसेफसेहुएहै।

गुजयात, याजस्थान के सीयोही, उदमऩुय, कोर्ा, सयसों, दाॉता बफररयमा, ईडय, भुसारयमा, फािमरमा, चॊदोय, करिन, खैयिाड़ाख डूॊगयऩूय, फाॉसिाड़ा, भारऩुय, रूणािड़ा, झारौद आहद ऺेत्रों भें

अधधकतादातभेंफसेहैं।भहायाष्रकेनॊदुयफाय, नाॊदेड़, नामसक, ऩोऩ, खयगना आहद ऺेत्रोंभें मे रोग फसे हुए हैं।

मूऱतनवास

ककॊिदन्तीहै, ककसफसेऩहरेबीरदाभोयरोगोंकेरूऩ भें ऩहचाने जाते हैं । इनके साथ ही फयककमानाभ के

रोग बी तनिास कयते थे, जजनभें ककसी कायण इन जाततमों भें मुद्ध तछड़ गमा, जजससे मे दाभोय रोग ऩयाजीत हुएपरत् इन रोगों कोिनाॊचर भें तनिास कयनाऩड़ा।

एक अन्म शब्द मबरारा बी प्रचमरत है, जजसतयहतनषाद - भ ६- भाधि - भूरकेभानेजातेहैं

ठीकउसीप्रकायमबरारेबीरयाजऩूत - भूरकेहैं। मे

रोग अऩने भूर स्थान धचत्तौड़ को भानते हैं औय अकारतथायाजऩूतसॊघषोंकेकायणभ.प्र. केिनाॊचर भें सुयक्षऺत स्थान की दृजष्र् से फसते गमे। ककन्हीॊ

कायणों से मबरारे अऩने को अन्म बीरों से ऊॉचा

भानते हैं। अक्सय अऩने को बीर शब्द कहे जाने ऩय अऩभानकाबीअनुबिकयतेहैं।

इसी प्रकाय डॉ. सुनीतत कुभाय चर्जी के

अनुसाय भीणा शब्द बी बीर प्रजातत से सॊफॊधधत है।

भीणेशकोंसेबीरकेमभश्रणकेऩरयणाभहै। ' भध्मकार भें ऩर्ल्मे, तड़िी, भानकय, याठ्मा, फायेरा आहद िगथ बीर प्रजातत के ऺेत्रीम नाभाॊतयहै। बीरशब्द कोजातत केसाथदेशिाचीबी

भाना गमा हैं। याफर्थ शेपय ने प्राचीन बायत की

प्रजाततमों के बौगोमरकविस्ताय का फड़ासुरझा हुआ अध्ममन प्रस्तुतककमा है, उनकेभतानुसायभहाबायत मुगभें बीरगॊगानदीसेऩजचचभीसीभाऔयहहभारम

(2)

केितथभानद्राविड़ीसीभाकेउत्तयीमसयतकरगेऺेत्र भेंफसेहुएथे।

बीरोंकीउत्ऩजत्त केउल्रेख बागितऩुयाण, अजननऩुयाण, भहाबायतऔयअन्मसॊस्कृत साहहत्मभें

मभरतेहैं। बागित के अनुसायअजऩुत्र याजािेन एक अत्माचायीशासकथा, जोरोहेकेडॊडेसेअऩनेशासन ऩय सख्त शासन कयता था । मऻों कायोकना, ऩूजा- ऩाठ सेिॊधचत यखना, साधुओॊ, सॊतोंऔय सज्जनोंको

ऩीड़ा देना आहद दुष्कृत्म कयता था । तफ ऋवषमों ने

अऩनेशयीय सेतनषाद कोउत्ऩन्नककमा। िहकौएॊके

सभानकारा, चऩर्ीनाकऔयआॉखेंरारथी। इसी प्रकाय की बीरों की उत्ऩजत्त को

अन्मान्मककॊिदॊतीकेभाध्मभसेबीरोंकीउत्ऩजत्तके

सॊदबथभेंउल्रेखककमेहैं।

याभामण भें बीरों के सॊफॊध भें उल्रेख मभरता है, कक गुहयाज (तनषाद) ने तनिाथसन कार भें

याभ की भदद कीथी।" याभ ने शफयी के झूठेफोय बी

खाने दे । " कुछ जनजातत के रोग देिऩुया भाॊड, अबयऩुय के बीर अऩनी उत्ऩजत्तमससोहदमा याजऩूतों

से जोड़ते हैं, उन्होंने एक फाफू गोिध ककमा था, इस कायणयाजऩूतोंनेउनकोफहहष्कृतककमाथा।

हफथर्रयसरेनेकयीफसौबीरों (याजस्थान ) का, भानि

जस्थत सिेऺण ककमा था, उसभें उन्हें द्राविडड़मन िगथ भेंयखाथा।

भेिाड़ के इततहास भें बीरों द्िाया गेहरोत याजाओॊ कीसहामता काउल्रेखअनेक फायककमा है।

फप्ऩायािर को 1713 ई. स. ने अभूल्म भददकीथी, डुॊगयऩुय, फाॉसिाड़ा तथा देिमरमा रयमासतों भें नए याजाओॊ के अमबषेक के अिसय ऩय बीरोंयॊजजत र्ीके

कऩारोंऩयउनकेभान्मतादेतेथे।

अरीयाजऩुय रयमासत याजा के याज्मामबषेक केसभममबरारा (ऩर्ेर) अऩनेदाहहनेहाथकाअॊगूठा

कार्कय उसको यक्त ततरक कयता था। सॊबित् मह इस फात का प्रतीक था, कक याजऩूत याजा के मरए मबरारा यक्त आिचमक होता था। बीरों के साथ भयाठों के सभम कई फाय भेंर् बेंर् हुई थी। भयाठों ने

बीरों के साथ तनभथभताऩूिथक व्मिहाय ककमा था। इस कायणबीरों ने गैयकानूनी दभनकयने केमरए फाध्म ककमाथा।

अॊग्रेजी याज भें बी अनेक बीरों ने अनेक प्रततफॊधधत तनमभ फनाने के, जजससे उनके िनों के

अफाध व्मिहायों ऩय कापी प्रततफॊध रगामे है। अॊग्रेजों

के िनों कायण जॊगर ऩय उनके अधधकाॊश अधधकाय

िॊधचत ककमे गमे । परत् िनिामसमों को नमे कृवष

ऺेत्रकीओयजानेकेमरएफाध्मककमाथा।

बब्रहर्श शासन ने भारिा बीर कोय की

स्थाऩना कयके अऩने सौम्म व्मिहाय से उन ऩय तनमॊत्रण ककमा था। बीरों ने रूर्ऩार् औय सभाज वियोधीगततविधधमोंथी, कुछकारतकबीरोंनेकापी

उत्ऩातकयऺेत्रकोअशाॊतककमाथा।

जहाॉतकबीरीबाषाकासॊफॊधहैधग्रमसथनने

इस शब्द के विकल्ऩ भें मबरोड़ी शब्द की ऩमाथप्त प्रमोगककमा था।कुछरोगोंनेमबरोड़ीबीकोबीएक उऩफोरी भाना है।बायत के अनेक बागों भें बीरी तय भारिीऔयतनभाड़ीबाषाओॊकाबीऩमाथप्तप्रबाियहा

है।

बायत की जनजाततमों भें बीर एक स्ितॊत्र जनजातत हैजोभध्मप्रदेशकेदक्षऺण-ऩजचचभ भें बायी

सॊख्मा भें ऩामी जाती है ।प्राम: बीरजनजातत विॊध्म औयसतऩुड़ा केऩहाड़ी ऺेत्रों भें यहती हैं।रुआडथ सी.ई. नेअरीयाजऩुयस्र्ेर्गजेहर्मय, फाम्फे, 1908 िाल्मू. 1 भें इस जाततकेभूरतनिासस्थान केसॊफॊध भें मरखा

है कक “बीर जातत का भूर तनिास याजस्थान के

ऩिथतीमप्रदेशआफूतथाअसीयगढ़कोभानाजाता है।

िहाॉ से इन रोगों का विस्ताय ऩजचचभी औय दक्षऺणी

गुजयातकेभैदानीबागोंभेंहुआ। "" भध्मकार भें

इस्राभी आक्रभण के कायणतथा अकार औयदुमबथऺ

के कायण जान भार की सुयऺा तथा आजीविका की

तराश भें मे जनजाततमाॉ गुजयात से होते हुए नभथदा

घार्ीभें विस्थावऩत हुई। उसकार भें इसऺेत्र भें घने

जॊगर थे । अत् अऩनी सुयऺा की दृजष्र् से मह ऺेत्र उन्हें उऩमुक्त रगा। इसके अरािा िनोऩज ऩय आसानीसेउनकाजीिनतनिाथहबीहोताहै। 13 जाजथ धग्रमसथन, ए मरॊगविजस्र्क सिे ऑप इजडडमा, खडड 9 बाग 3, ऩृ. 9 14 रुआडथ सी. ई. ने अरीयाजऩुय स्र्ेर्

गजेहर्मय, फाम्फे, 1908 िाल्मू. 1

था।इसकायणमह जनजाततविॊध्माचर औयसतऩुड़ा

कीऩिथतश्रेणीभेंभध्मकारसेहीसतीगई।

इस जातत के याजऩूतों के साथ सम्फन्धों के कायण मबरारा, ऩर्मरमा, नामकड़ा आहद अरग उऩजाततमाॉ

हुई। भुख्मरूऩसेझाफुआ, अरीयाजऩुय, धाय, फड़िानी

तथा खयगोन भें बीरों की उऩजाततमाॉ मभरती हैं,

(3)

जजनका सॊक्षऺप्त विियण तनम्नानुसाय है- बीरों भें

प्रभुख रूऩसेमबरारा, फायेरातथाबीरप्रभुखरूऩसे

उऩजाततमाॉऩामीजाती है। इनभेंबीऔयउऩजाततगत बेद है। मबरारों कीउत्ऩजत्त याजऩूतऩुरुषऔय बीर स्त्रीकेकायणहुईइसमरएमेरोगअऩनेआऩकोबीरों

से श्रेष्ठ भानते हैं । इन सबी उऩजाततमों का अऩना- अऩना स्ितॊत्र जाततगत सॊगठन है। मे उऩजाततमाॉ

आऩसभेंयोर्ी-फेर्ीव्मिहायनहीॊकयते।

ऩर्मरमा जनजातत बी बीर जस्त्रमों के

याजऩूतोंकेसॊसगथकेकायणअजस्तत्िभें आमी।इनभें

बी फायह उऩजाततमाॉ है । इनके अऩने-अऩने

यीततरयिाज है । मे उऩजाततमाॉ बी प्राम् आऩस भें

वििाहहत सॊफॊध कामभ नहीॊ यखते । मबरारों भें बी

फड़ी जात के मबरारे तथा छोर्ी जात के मबरारे हैं।

फड़ी जात के मबरारे अऩने को िाघेरा याजऩूतों का

िॊशज फताते हैं, ककन्तु बीरों के सम्ऩक के कायण िे

अऩनी भूरजातत खो फैठे है ऐसीसभाजशाजस्त्रमों की

भान्मता है। छोर्ी जातत भें जभया, याठौय, सजस्तमा, अजनारयमा, चौहान आहद आते हैं । मे दोनों

उऩजाततमाॉ खानऩान के भाभरों भें बी एक दूसये से

मबन्न है। याजेन्द्र जैन मरखते है कक- “ऊॉची जातत के

मबरारेभुगाथ-भुगीकेभाॉसकासेिननहीॊकयतेऔयन हीशयाफऩीतेहै।" 15

मबरारों भें बी दयफायी मबरारा, ढाऩल्मा

मबरारा औय याठ्मा मबरारा उऩजाततमाॉ है । दयफायी

मबरारा अऩनेकोसफसेफड़ी जाततकाभानते हैंऔय अन्ममबरारों सेयोर्ी-फेर्ी व्मिहायनहीॊयखते।गाम, कुत्ता, धगरहयी, बफल्री को भायना ऩाऩ सभझते हैं । याजऩूतों केसभान अऩनेनाभ केआगे मसॊहरगाते हैं

तथा हहन्दुओॊ कीबाॉतत, दशहया, दीिारी, होरी आहद भनाते हैं। ढाऩल्मा मबरारा बी अन्म उऩजातत से

िैिाहहक सम्फन्ध नहीॊ कयते । िस्तुत् इनकी कुछ प्रथाएॉएकदूसयेसेमभरतीहैं।

याठ्मा बीर मबरारा जनजातत का ही एक बाग है।

ितथभान भें ऩूिी तनभाड़ खयगोन औय फड़िानी भें

याठ्मा मबरारा ऩामे जाते हैं । “याठ्मा स्िमॊ को यथ देश काभूर तनिासी भानते हैं। प्रायॊब भें अरीयाजऩुय

ऺेत्रकोयथदेशकेनाभसेऩुकायाजाताथा। मानकरयानाइक

मह उऩजाततअरीयाजऩुय, धाय औयफड़िानी

जजरे भें ऩामी जाती है। नाइक खखताफ उन्हें याज्म के

अधधकारयमों ने ऩूिथ भें हदमा था । नाइको का बी

भानना है, कक उनकी उत्ऩजत्त याजऩूतों औय बीरोंसे

हुईहै।

तनम्न जाततमों भें फायेरा, तड़िी, बीर, नामय, न्हार औयकोर्िारआतेहैं।

िड़वी

तड़िी शब्द का उऩमोग बीर प्रभुख के रूऩ भें मरमा

जाता है । मे जाभुन के िृऺ को आदय से देखते हैं।

इनभें बी अनेक गोत्र है प्रत्मेक गोत्र का अऩना एक विमशष्र् उऩनाभहै । कहा जाताहै कक भुगरकार भें

कुछ तड़विमों को जफयन भुसरभान फना हदमा गमा

था, ककन्तु हहन्दूधभथकेप्रततअर्ूर् आस्थाऔयश्रद्धा

होनेकेकायणिेऩुन: हहन्दूफनगमे। 17

तड़िीजनजातत केरोग सतऩुड़ाकीतरहर्ी

भें फसेहैं। आधथथकदृजष्र्से अफमे रोग कापीवऩछड़

गमे हैं। ऩहाड़ी ऺेत्रों भें दूय-दूयतक झोऩडड़माॉ फनाकय यहते हैं। आधथथक जस्थज दमनीम होने के कायण कुछ रोगचोयी, डकैतीआहदजयामभऩेशाअऩनामेहुएहै।

नायर

नामय रोग बी शैऺखणक ि आधथथक दृजष्र् से अत्मॊत वऩछड़े हैं । मह उऩजातत गो भाॉ नहीॊ खाते, ककन्तु

कच्ची शयाफ फहुत ऩीते हैं। अधधकाॊश नामयों के ऩास अऩनीकृवषबूमभनहीॊहै।इससभुदामकेरोगखूखाय औय असभ्म होते हैं । भाभूरी सी फात ऩय हत्मा कय देनाउनकेमरएसहजहै।

न्हाऱ

फड़िानी जजरे के दक्षऺण-ऩजचचभ फोकयार्ा की

ऩहाडड़मों भें तनिास कयते हैं। मे गो भाॊ तथा अन्म जानियोंकाभाॊसबीखातेहैं।मबरारा, फायेरा, तड़िी

आहद इनके साथ अछूतों जैसा व्मिहाय कयते हैं । इनकेहाथकाऩानीतकनहीॊऩीते।मेरोग गॊदेयहते

हैं।अधधकाॊशरोगफेयोजगायहै।

बारेऱा

मबरारों के फाद प्रगतत भें दूसये नम्फय ऩय फायेरा

उऩजातत आती है। इनके अऩनेयीततरयिाज मबरारों

कीतयह ही है। ऩार्ी, मसरािद, खझयन्मा तथा सेंधिा

के तनजथन िन अॊचरों भें फायेरा रोग यहते हैं । तनिारी, ऩानसेभर, मसरािदऺेत्रभें यहनेिारेफायेरा

अफगामत्रीमभशनकेकायणकापी सुधय गमेहैं।अफ

िे भाॊस बऺण नहीॊ कयते औय न ही शयाफ ऩीते है । फहुतसेफायेराजनेऊधायणकयतेहैं।मशऺाकेऺेत्रभें

(4)

बी फायेराओॊने ऩमाथप्तप्रगतत कीहै । फायेरा सभाज केअधधकाॊशफच्चेस्कूरोंभेंअध्ममनकयतेहैं। कोटवाऱ

कोर्िाररोगस्थानीमऩर्ेरकेअधीनकामथकयतेहैं।

इसके अरािा भये हुए कोउठाने काकामथ बी कयतेहैं

औय भये हुए जानियों का भाॊस बी खाते हैं। आधथथक दृजष्र् सेकोर्िार अत्मॊत वऩछड़ेहैं। ऩर्ेरकेसहमोग केकायणइन्हेंप्रत्मेकघय सेअनाजआहदप्राप्त होता

है।

(1) सामाजजकसंरचनाएवंसामाजजकसंगठन प्रत्मेक उऩजाततका अऩनास्ितॊत्र साभाजजकसॊगठन है। अऩनी ऩयम्ऩया के अनुसाय इन्होंने अऩनी

उऩजाततगत सॊस्काय, धामभथक अनुष्ठान औय यीततरयिाज तनधाथरयत ककमे हैं जजनका िे ऩयम्ऩयागत तयीके से ऩारन कयते आमे है । प्रत्मेक सॊगठन का

अऩनाएकभुखखमाहोताहैजजसकीआऻाउऩजाततको

भानना अतनिामथ है। मह भुखखमा अऩनी उऩजातत भें

उत्ऩन्न सबी वििादों का तनणथम देता है । इसकी

अनुभतत के फगैय न तो िैिाहहक सॊफॊध कामभ ककमे

जाते हैं औय न ही कोई धामभथक उत्सि भनामा जा

सकता है। इनकेयीततरयिाजतथा इनकीऩयम्ऩयाएॉही

इनकीऩहचानहै।

सभस्त बीर जनजातत ऩुरुष प्रधान है। इन सबी भें सगोत्री वििाह तनवषद्ध है । प्राम् अऩनी ही

उऩजाततभेंवििाहकोप्रभुखतादीजातीहै।

तनष्कर्ष

बीरजनजाततसन् 6000 ई.ऩू. सेअऩनेअजस्तत्िको

ऩरयधचत कयामा है। भूरत् याज्म याजस्थान तनिास बीरजनजाततनेइततहासनेफाय-फायआक्रभणकयके

बीरों को याजनैततक अजस्थयता प्रदान की है।

भध्मकार भें इन्हीॊ कायणों से बीरों को शाॊतत औय सुयऺा केकायणों से सघन ऩहाड़ी ऺेत्रों भें यहना ऩड़ा।

सभूचाइस्रामभकआक्रभणइसदृजष्र्सेबायीअशाॊतत काकारखॊडयहाहै।

बीरों की अनेक उऩजाततमाॉ अऩनी-अऩनी

ऩयम्ऩयाओॊ भें अऩने जाततगत सॊगठनोंके आधाय ऩय स्थावऩतहै।इनभेंऊॉचनीचकेकापीवििादबीहै।

भानकय, तड़िी, नामय, न्हार, फायेरा, कोर्िार अऩने-अऩने उऩजाततगत सॊगठन है। अऩने- अऩने जाततगत सॊस्काय है तथा अऩनी-अऩनी स्ितॊत्र ऩयम्ऩयाएॉहीहै।

यीततरयिाजोंकीदृजष्र्सेअधधकाॊशउऩजाततमाॉअधधक सभृद्ध है जजनभें गबाथधान सॊस्काय, जन्भ सॊस्काय, भुॊडन सॊस्काय, सूयजऩूजा, नाभकयण सॊस्काय, अन्नप्राशन सॊस्काय, गुदना सॊस्काय, वििाह सॊस्काय आहद सॊस्कायों का बरीबाॉतत प्रचरन होता है। वििाह कयनाबीरसभाजकेमरएअतनिामथहै। िधूभूल्मके

रूऩभें मुिाओॊकोबायीभूल्मचुकानाऩड़ताहै। उनकी

अऩनीऩयम्ऩयागतवििाहविधधमाॉहोतीहै।

विधिा वििाह बी जातत भें गृहीत है। इसके

कायण बागकय मा झगड़ा तोड़कय बी वििाहहोते हैं।

जेष्ठऩत्नीकेविधिा होनेऩय देियकेसाथ हीभृतक कीऩत्नी कानातया कयसकतीहै, ककन्तु इसकेमरए भृतका कीऩत्नी कीअधधकृतहोतीहै।तराकबीहोते

है, ककन्तु फहुत कभ। बीरों सगोत्री वििाह का तनषेध है। रड़का औय रड़कीदोनों कीसहभततसे ही वििाह ककमेजातेहै।

ऩतत की भृत्म के फाद विधिा औय को सम्ऩजत्त का

अधधकाय मभर जाता है। महद िह ऩुनविथिाह चाहे तो

इस जस्थतत भें उसके ऩतत की भृत्मु के हक नहीॊ

मभरते।

जनजातत की जीिन शैरी सहज औय सीधी सादी है।

रोगदोनोंप्रकायकेआमभषऔयसातनषबोजनरेतेहै

। जातत भें कुछ तनधाथरयत धामभथक विचिास औय आॊमशकअॊधविचिासबीहै।

संदर्षग्रन्थसूची

1. यसेर औय हीयारार - हद राइब्स एडड कास््स ऑपसेन्ररप्राविथसेसऑपइॊडडमा, व्हा. 2 2. डॉ. नेभीचॊद जैन- बीरी बाषा का साहहत्म औय

सॊस्कृतत, ऩृ. 4

3. याफर्थशेपय- एथनोग्राकपक ऑप एॊमशमॊर् इॊडडमा, ऩृ. 21

4. भहेशचन्द्र शाॊडडल्म - सम्ऩदा, ऩृ. 191 7 डॉ. सुनीतत कुभाय चर्जी - ऩृथ्िीमसॊह भेहता, हभाया

याजस्थान, ऩृ. 11

5. याफर्थशेपय- एथनोग्राकपक ऑप एॊमशमॊर् इॊडडमा, ऩृ. 19

6. बागितऩुयाण, स्कॊद4चरोक45अध्माम14 7. िाल्भीककयाभामण, अमोध्माम काडडअध्माम 50

चरोक35

(5)

8. िही अयडमकाडड अध्माम 74 चरोक 17-18 12 कनथर र्ाड़, एनल्स औय एतनहर् जक्िहर्स ऑप याजस्थानव्हा. 1 ऩृ. 370

9. बीरोंकीसाभाजजकव्मिस्था, डॉ. एभ. एर. िभाथ तनकुॊज, ऩृ. 28

10. बीरों की साभाजजक व्मिस्था - डॉ. एभ. एर.

िभाथ, ऩृ. 39-40 सेउद्धृत.

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