• Tidak ada hasil yang ditemukan

View of मध्यप्रांत में जनजातीय समाज सुधारक-राजमोहिनी देवी

N/A
N/A
Protected

Academic year: 2023

Membagikan "View of मध्यप्रांत में जनजातीय समाज सुधारक-राजमोहिनी देवी"

Copied!
3
0
0

Teks penuh

(1)

Vol-4, Issue-04, April 2023 ISSN (E): 2583-1348

AGPE The Royal Gondwana Research Journal of History, Science, Economic, Political and Social science

34

मध्यप्रांत में जनजरतीय समरज सुधररक-ररजमोहिनी देवी

ऄतीत से ही सामाजजक सुधार के जन अंदोलनों में संत महात्माओं की ऄह्म भूजमका रही है। समाज सुधार सजदयों से होता अया है, जजसका पररणाम अज का सभ्य समाज है तथाजप समाज में जिसंगजतयां ि बुराइयों का होना भी

ऄिश्यंभािी है। ऐसे में जब सरगुजा के अजदिासी समाज में ऄजिक्षा, मद्यपान और ऄंधजिश्वास गढ़ कर चुकी थी। यह यहां के सामाजजक जागृजत ि चेतना के जलए ‘‘रजमन बाइ’’ का अगमन हुअ बाद में आन्हें ‘‘राजमोजहनी देिी’’1 के नाम से जाना जाने लगा।

राजमोजहनी देिी का जन्म सरगुजा के प्रतापपुर (िततमान में सूरजपुर जजले में) के िारदापुर ग्राम में जुलाइ सन् 1914 इ.

हुअ था। आनके जपता का नाम िीरसाय था जो एक गोंड़ अजदिासी कृषक थे तथा आनकी माता का नाम िीतला था।2 राजमोजहनी देिी बचपन से ही ऄपने जीिनकाल में जिपरीत पररजथथजतयों का सामना जकया। कम ईम्र में ही ईनका

जििाह कर जदया गया था, जििाह के छः मजहने बाद थिाथ्य खराब होने के कारण ईन्हें ऄपने माता-जपता के पास अना

पड़ा। पांच िषो के लम्बे ईपचार के कारण पजत ने ईन्हें छोड़ जदया। पररणाम थिरूप ईनका दूसरा जििाह 15 िषत की अयु

में िाड्रफनगर में जथथत ग्राम गोजिन्दपुर के रंजीत जसंह से हुअ। पररिार ऄजधक सम्पन्न नहीं था।3

राजमोजहनी देिी के 4 पुजियां और 4 पुि हुए परन्तु संतान सुख भी आन्हें ऄधक जदनों तक नहीं जमल पाया। एक के बाद एक संतानों की मृत्यु होने लगी। पहले पुि लखमन की 12 िषत में और दूसरी संतान घासी की जििाह के बाद मृत्यु हो गइ।

तीसरी पुिी जनरािा का जििाह रूपचंद से हुअ परन्तु कुछ जदन बाद ईनकी मृत्यु हो गइ । चैथी संतान बलदेि की मृत्यु

1996 में हो गइ। छठी संतान मनुदेि की मृत्यु सन् 2005 सड़क दुघटना में हो गइ। संतान की मृत्यु जन्म के बाद हो गइ।

जसफत पांचिी संतान ‘‘रामबाइ’’ जीजित है जो राजमोजहनी देिी के अश्रम की साफ-सफाइ एिं पजा ऄचतना करती है।

राजामेजहनी देिी के जीिन में यह दुःख सहन करना और पजत का िराबी होना, आन्हीं कारणों से िजह से ईनके जीिन में भी

पररिततन अया जो सहायक रहा।4

ईनकी िेिभूषा ऄत्यंत साधारण थी। सफेद रंग की हरे या नीले जकनारे की सूती साड़ी पहनती थी। राजमोजहनी

देिी बहुत ही साधारण जीिन जीतीं थीं। ईन्होंने जीिन पयंत दूर-दूर गां में पैदल घूमकर अजदिाजसयों को संगजठत जकया

CORRESPONDING AUTHOR: RESEARCH ARTICLE

Awadheshwari Bhagat

Assistant Professor, Dept. of History

Shri. Rawatpura Sarkar University, Chattisgarh, India.

Email: awadhibhagat@gmail.com

मध्यप्रांत में जनजरतीय समरज सुधररक -ररजमोहिनी देवी

डॉ.अवधेश्वरी भगत

सहायक प्राध्यापक (आजतहास जिभाग) श्री राितपुरा सरकार युजनिजसतटी रायपुर (छ.ग.)



AGPE THE ROYAL GONDWANA RESEARCH JOURNAL

OF HISTORY, SCIENCE, ECONOMIC, POLITICAL AND SOCIAL SCIENCE ISSN (E): 2583-1348 A Peer reviewed Open Accsess & Indexed

Volume 04 Issue 04 April 2023 www.agpegondwanajournal.co.in Page No. 34-36

(2)

Vol-4, Issue-04, April 2023 ISSN (E): 2583-1348

AGPE The Royal Gondwana Research Journal of History, Science, Economic, Political and Social science

35

मध्यप्रांत में जनजरतीय समरज सुधररक-ररजमोहिनी देवी

और ईन्हें गांधीिादी अदिों को ऄपनाने की प्रेरणा दी। ईनहें ऄक्षर ज्ञान नहीं था जकन्तु व्यिहाररक ज्ञान ने ईन्हें समाज नेता के ईच्च िासन पर प्रजतजित कर जदया।

प्रजतजदन 10-15 जक.मी. की पदयािा के बाद राजि जिश्राम होता था। ऄनुयायी ऄपने साथ खाने-पीने का सामान लेकर ग्रामीण ऄंचल में पैदल ही जनजागरण एिं सेिा कायत हेतु जनकल पड़ते थे।

1951 स य स ए य स स राजमोजहनी देिी के पद यािाओं के मुख्य ईद्देश्य -

1. सरगुजा की जनजाजतय में गांधी दितन का प्रचार-प्रसार एिं ईनको राष्ट्र की मुख्य धारा से जोड़ना।

2. ऄंधजिश्वास के जिरूद्ध जनसभाओं द्रारा लोगों को अगोह करना।

3. रूजियों, ऄथतहीन रीजत ररिाजों के बंधन से जनजातीय समाज को मुक्त करना।

4. थिालंबन द्रारा ईन्हें मनोयोगी बनाना।

5. थिच्छता और सफाइ पर जििेष बल।

6. िोषण के जिरूद्ध एिं नारी जागरण के समथतन में अिाज ईठाना।

राजमोजहनी देिी गांधी जी के जिचारों से बहुत प्रभजित थी। ईन्होंने गांधीिादी संदेि लोगों तक पहुंचाया। ‘‘जीि

जहंसा मत करो, मद्यपान छोड़ दो, मांस खाना छोड़ दो, सत्य के मागत पर चलों, यही जीिन का सार है। राजमोजहनी देिी ने

खादी का प्रचार, गौ-हत्या पर रोक जैसे लोक जहतकारी कायों को सफल बनाने में भरपूर कोजिि की। गांधी जी ‘‘रघुपजत राघि राजा राम, पजतत पािन सीताराम’’ गाते थे, ... ऄब राजमोजहनी देिी और ईनके सहयोजगयों द्रारा भी जकया

जाने लगा।5

राजमोजहनी देिी अचायत जिनोबा भािे एिं गांधी जी को ऄपने गुरू रूप में थिीकार कर ईनके अदिों को अगे

बढ़ाया।6 जिनोबाजी के भूदान अंदोलन का ईद्देश्य समाज में समानता, मातृत्ि और थिराज थथाजपत करने का रहा है।

अंदोलन का प्रभाि ऄनेक प्रांतों में पड़ा, सरगुजा पर भी आसका प्रभाि पड़ा, राजमोजहनी देिी ने आस कायत को गजत देने का

भार संभाला। सन् 1955 से सन् 1959 तक भू-दान अंदोलन में लम्बी पद यािाएं, करके सैकड़ों एकड़ भूजम दान में प्राप्त की।7

15 स 1968 स औ औ स ए ए स ए औ स य , , , , , औ 101 ए 17 स 1969 य य 8

- य स य 19 स 1975 य य य य स य य य , स स य य यय स य औ य ( ) य स स य अजादी के बाद अजदिाजसयों को प्रलोभन देकर इसाइ बनाने का जसलजसला िुरू हो गया था।

राजमोजहनी देिी द्रारा धमत पररिततन को रोकने का भी एक महत्िपूणत प्रयास जकया गया।9

माता राजमोजहनी देिी पढ़ी-जलखी नहीं थी, जकन्तु जिक्षा के प्रचार-प्रसार में ऄपना पूरा जीिन लगा जदया। बापू

(3)

Vol-4, Issue-04, April 2023 ISSN (E): 2583-1348

AGPE The Royal Gondwana Research Journal of History, Science, Economic, Political and Social science

36

मध्यप्रांत में जनजरतीय समरज सुधररक-ररजमोहिनी देवी

धमतसभा के माध्यम से गोजिन्दपुर में एक थकूल भी अरंभ कराया, जजसे िततमान में सिोदय सजमजत संचाजलत करती है।

बापू धमतसभा संथथा के माध्यम से सूरजपुर जजला ऄंतगतत िततमान में चार थकूल संचाजलत है और जय बड़ा देि सजमजत राजमोजहनी देिी के नाम से तीन थकूल संचाजलत कर रही है। सूख भूखमरी और ऄकाल जैसे अपदाओं से जनपटने के जलए माता जी ग्राम ऄन्नकोष की थथापना की थी। राजमोजहनी देिी को अजदिासी समाज की समजपतत सेिा के जलए मध्यप्रदेि

िासन ने ‘‘आंजदरा गांधी राष्ट्रीय समाज सेिा पुरूथकार’’ से सन् 1985-86 इ में सम्माजनत जकया। आसके बाद आन्हें ग्रामीण

िगत के ईत्थान के जलए जिजिष्ट कायत के जलए तत्कालीन राष्ट्रपजत अर. िेंकटरमन द्रारा ‘‘पद्मश्री’’ से सम्माजनत जकया

गया।10

6 स 1994 स स य ए -ए स औ स य स य स सय ए य य स य औ य य ए स स स य य य स य य य य य

ए , स य औ य य - य स स स- स य य स ए य य , , य , य य य स स स य स ए य य य य स स ए स स औ स य

सांदर्भ :

1. मंजदलिार, सजचि, सरगुजा-दितन (ऐजतहाजसक पररप्रेक्ष्य) मनरम् प्रकािन, ऄजम्बकापुर, श्री संित् 2060, पृ.-10 2. जजंदल, सीमा सुधीर, सामाजजक क्ांजत की ऄग्रदूत राजमोजहनी देिी, छत्तीसगढ़ राज्य जहन्दी ग्रंथ ऄकादमी, 2013,

पृ.-10

3. जजंदल, सीमा सुधीर, ईपरोक्त, पं.-11

4. मंजदलिार, . सजचन, थिातंियोत्तर छत्तीसगढ़, िासकीय जिश्वनाथ यादि तामथकर थनातकोत्तर थििासी

महाजिद्यालय दुगत (छ.ग.), 2004, पृ.-68

5. भूषण, केयूर, छत्तीसगढ़ के नारी राम, जनचेतना प्रकािन, रायपुर, 2005, पृ.-53 6. जसंह, चन्रप्रताप, प्रगजत सरगुजा, जसद्धाथत प्रकािन, ऄजम्बकापुर, 2003, पृ.-98 7. जजंदल, सीमा सुधीर, पूिोक्त, पृ.-56

8. जजंदल, सीमा, सुधीर, ईपरोक्त, पृ.-57

9. िमात, परदेिीराम, जसतारों का छत्तीसगढ़, िैभि प्रकािन, रायपुर, 2011, पृ.-200 10. मंजदरार, सजचन, सरगुजा दितन, पूिोक्त, 250

11. जसन्हा, . ज्योजत, प्राचायत-राजमोजहनी देिी िास. कन्या. थना. महा. ऄजम्बकापुर (द्रारा साक्षात्कार) 25.07.2017



Referensi

Dokumen terkait

People in Indonesia at this time and in future to be broken access to needs of clothing, food, Board, and health as a result of the lack of attention of State over the