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View of बड़वानी रियासत का राजनीतिक अध्ययन और बड़वानी जिले की राजनीतिक परिस्थितियाँ

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VOLUME: 10, Issue 03, Paper id-IJIERM-X-III, June 2023

25 बड़वानी ररयासत का राजनीततक अध्ययनऔर बड़वानी जजऱे की राजनीततक ऩररजथथततयााँ

Dr. Omna Senani

Political Science, Assistant Professor, Govt. Nehru PG College Deori Dist. Sagar (M.P.) सार - किसी बी देश, याज्म मा ऺेत्र िी याजनीतत उसिे इततहास (साभाजजि, आर्थिि, याजनैतति एवॊ सॊस्िृतत)

िे द्वाया प्रबाववत होती है। इसी तयह फड़वानी जजरे िी वतिभान 1 याजनीतत इततहास से प्रबाववत हुई है।

फड़वानी रयमासत िो फड़वानी याज्म िे नाभ से बी जाना जाता था। फड़वानी याज्म िा प्रायॊब 10 वीॊ शताब्दी

भें हुआ। रयमासत िे प्राचीन इततहास से ऩता चरता है कि रयमासत िे प्रथभ शासि धानि इस ऺेत्र ई.स. 950 िे आसऩास भेणीभाता ऺेत्र भें आमे थे जहाॉ ऩय उन्होंने एि छोटी जागीय िे रूऩ भें रयमासत िी नीॊव

िामभ िी थी। उसिे ऩश्चात् फीच भें 29 शासिों िा िेवर नाभोउल्रेख मभरता है। उनिे िामििार िी

जानिायी उऩरब्ध नहीॊ होती। उसिे फाद मरभजी से इततहास िा मसरमसरेवाय ऩता चरता है। सन् 1880 ई.

िे ऩूवि िा फड़वानी रयमासत िा इततहास बी उऩरब्ध नहीॊ होता। सी.ई. रुआडि िे फड़वानी गजेटटमय सन्

1902 से िुछ प्रायॊमबि जानिारयमाॉ उऩरब्ध होती है। बायत िी स्वाधीनता (1947) ति रगबग 600 वषों

ति मह याज्म अजस्तत्व भें यहा।

प्रथतावना

ववगत एि दशिों िे चुनाव (ववधानसबा, सॊसद, ऩॊचामत) िा वववयण औय ववश्रेषण फड़वानी जजरे

िी वतिभान याजनीतत उसिे अतीत से जुड़ी हुई है।

इसमरए वतिभान याजनीतत िा अध्ममन ियने िे

मरए फड़वानी िे अतीत भें जाना अतत आवश्मि

है। 4 थी-5 वीॊ शताब्दी ति याजस्थान भें बीरों व मभणाओॊ िे अनेि छोटे छोटे याज्म। आफू िे

उत्तय ऩजश्चभ भें बीरों िा एि शजतत शारी

याज्म था, जजसिी याजधानी बीभ थे नार थी।' इन्हीॊ बीरों िा एि याजा भाण्डरीि इडय ऩय याज्म ियता था। बीरवाड़ा बी अऩने प्रायॊमबि

िार भें बीरों िा याज्म यहा। याजऩूतों िा जफ इस ऺेत्र ऩय आर्धऩत्म फड़ा तो मे रोग दक्षऺण भारवा भें नभिदा िे किनाये व सतऩुड़ा ऩवित श्रेणणमों भें तनवािमसत होिय आए। इसिे ऩश्चात्

बीरों ने फड़वानी भें अऩना स्थामी याज्म िामभ नहीॊ किमा।

फड़वानी याज्म भें ववमबन्न वॊशों िी

याजनीतति सत्ता नाभभात्र िी यही। इसिा िायण

ऺेत्र सघन वनों से मुतत ऩहाड़ी एवॊ अनुऩजाऊ प्रदेश होना था। इसमरए प्राचीन िार भें किसी बी

शासि ने इस ऺेत्र िो भहत्व प्रदान नहीॊ किमा

औय ऩूया ऺेत्र एि प्रिाय से उऩेक्षऺत यहा।

एि स्रोत िे अनुसाय मह भाना जाता है, कि फड़वानी िा याजवॊश अऩना उद्गभ स्थान

र्चत्तौड़गढ़ िे याणाओॊ से फताते है। भेवाड़ याज्म

िा सॊस्थाऩि फप्ऩा यावर 735 ई. िी आठवी ऩीढी

भें याणा खरबोज गेहरोत शासि था उनिे चाय ऩुत्र थे- खुभान, धानि, उदमयाज, हयी याज। इस प्रिाय फप्ऩा यावर िे दूसये ऩुत्र धानि यावर ने

सॊबवत: फड़वानी याज्म िी स्थाऩना 850 ई. भें िी

थी।

बड़वानी ररयासत का राजनीततक अध्ययन

फड़वानी याज्म भें धानि िी प्रबु सत्ता िो सबी

वन वामसमों िे द्वाया स्वीिाय िी गई। इस तयह से इस शासि िा प्रबाव आभ रोगों ऩय रम्फे

सभम ति यहा। इस तयह धानि यावर द्वाया

आवासगढ िो अऩना तनवास ऺेत्र फनामा इस प्रिाय फड़वानी ऺेत्र भें याजऩूत सत्ता िा

फीजायोऩण हुआ।

फड़वानी ऺेत्र भें याजऩूत सत्ता िी

स्थाऩना िे साथ शासि एवॊ शामसतों िा बेदबाव मभटने रगा। इसिा याजनीतति दृजटट से भहत्व मह यहा, कि आटदवासी फाहुल्म ऺेत्र होने िे फाद बी फाहय से आमे शासि रम्फे सभम ति शासन

ियते यहे। इस फात िा फड़वानी जजरे िी

याजनीतत ऩय आज बी िहीॊ न िहीॊ प्रबाव टदखाई देता है।

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VOLUME: 10, Issue 03, Paper id-IJIERM-X-III, June 2023

26 धानि यावर िे फाद श्माभ मसॊह नाभि

याजा ने याज्म भें शाॊतत िामभ िी। भोिरमसॊह ने

याज्म भें शजतत िा याजनीतति वविेन्रीियण

ियने िे मरए सतऩुड़ा बू बागों िो िई बागों भें

ववबाजजत किमा। ववयाभ मसॊह, िनिमसॊह व अजुिनमसॊह िे शासन िार भें िोई याजनीतति

उत्थान नहीॊ हुआ, तमोंकि मे रोग आऩस भें ही

उत्तयार्धिायी िे मरए रड़ाते यहे। इस सभम

िनि मसॊह आरीयाजऩुय औय यतनभार िो

जीतिय उस ऩय शासन िय यहा था।

फड़वानी याज्म भें याणा ऩवितमसॊह ने टहन्दू

धभि िो छोड़िय भुजस्रभ धभि स्वीिाय किमा था।

इसिा िायण शासन प्राप्त ियने िे मरए भुजस्रभ शजतत प्राप्त ियना था। भुगर शहजादा बफदाय फख्त खानदेश जाते सभम खयगोन भें रूिा महाॉ

उसने बीरों व िौर िे ववरोह िो शाॊत किमा था।

ऩयॊतु भोहनमसॊह ने भयाठा शजतत िे िायण नॊदूयफाय औय फीजागढ़ भें फहुत तफाही भचाई।

इसीमरमे शहजादा ने याणा ऩवितमसॊह िो सॊमोग प्रदान किमा, ऩयॊतु इस िूटनीतत िा िोई बी

प्रबाव नहीॊ ऩड़ा औय ऩवितमसॊह शासि नहीॊ फन सिा।

वच्छयाजमसॊह, सूयमसॊह व जोधमसॊह ने बी

फड़वानी रयमासत ऩय शासन किमा था। भोहनमसॊह 1708-1730 ई. ति फड़वानी िा शासि यहा।

इसिे शासन िार िी सफसे फड़ी याजनैतति

घटना मह यही कि दक्षऺणी भयाठों द्वाया उत्तय भें

जस्थत भारवा याज्म ऩय आक्रभण िय टदमा था।

इस सभम फड़वानी िे याणा ऩय नॊदूयफाय, सुल्तानऩुय, आवासगढ, याजऩुय व ब्राह्भणगाॊव िो

सुयक्षऺत ियने िे मरए भयाठों ने भोहनमसॊह ऩय दफाव डारा। मह ऺेत्र व्माऩारयि व साभरयि दृजटट होने िे फाद बी मे ऩयगने भयाठों िो सौंऩे।

ब्राह्भणगाॊव से ही फड़वानी रयमासत िो

उस सभम 6 हजाय रूऩमे साराना िी आम 6 होती

थी। फाय-फाय भयाठों िे आक्रभण से याज्म िो

सुयक्षऺत फनाने िे मरए भोहनमसॊह ने याभगढ दुगि

जजसिा साभरयि भहत्व था ऩुन् तनभािण ियवामा

था।7

अनूऩमसॊह, उम्भेदमसॊह व भोहमसॊह द्ववतीम

िे शासन िार भें िोई भहत्वऩूणि याजनैतति

घटनाएॊ फड़वानी रयमासत भें नहीॊ घटटत हुई थी।

इस सभम फड़वानी िा याज्म प्रशासन इन याजाओॊ

ने सय जान भॉरिभ सेटरभेंट ऑप भारवा िे

अर्धनस्थ चरामा।8

याणा उम्भेदमसॊह िी भृत्मु िे फाद फड़वानी याज्म भें अयाजिता िी जस्थतत िामभ हो

गई। इसिा याजनैतति राब होरिय सेनाऩतत तुिोजीयाव ने उठामा व जरगाॊव ऩय अऩना

आर्धऩत्म स्थावऩत िय वहाॉ ऩुमरस चौकिमा

िामभ िय री। भयाठे अर्धऩतत ऩेशवा िे भॊत्री व याजनीततऻ नाना पड़नववश िो होरियों िा

जरगाॊव ऩय िब्जा अनुसूर्चत रगा, इसमरमे उनिे

िहने ऩय अटहल्मा फाई िो ऩत्र मरखा, जजसभें

फड़वानी िो जरगाॊव सौंऩने िी भाॉग िी गई।

ऩेशवा िी मह याजनीतत भयाठा साम्राज्म

िे टहत भें थी। भोहनमसॊह ने ऩरयजस्थततमों िो

देखते हुए मशवॊत याव होरिय िो सभथिन टदमा

व फड़वानी याज्म भें ऩेशवा िे ववरूद्ध ववरोह िय टदमा। भयाठों भें अफ शजतत सॊचारन नहीॊ फची थी

अत् भोहनमसॊह ने अॊग्रेजी सॊयऺण भें जाना उर्चत सभझा इस तयह 1811 ई. िे फाद से सय जॉन भॉरिभ ने फड़वानी याज्म िे प्रशासन भें बी

अॊग्रेजी शासन िा भागि खोर टदमा।

फड़वानी जजरे भें अॊग्रेजों िा आगभन 1794 - 1839 ई. िे फीच भें हुआ। इस तयह फड़वानी याज्म ऩय अरग अरग वशॊ िे याजाओॊ

िा प्रबाव देखा जाता यहा, जजन्होंने सभम अनुसाय फड़वानी रयमासत िी साभाजजि, आर्थिि व याजनीतति गततववर्धमों िो प्रबाववत किमा था।

1839 से 1880 ई. ति फड़वानी याज्म िा

प्रशासन जसवॊतमसॊह िय यहा था। इनिे

शासनिार भें सफसे फड़ी याजनैतति घटना प्रथभ स्वतॊत्रता सॊग्राभ प्रायॊब होना था, जजसिा प्रबाव फड़वानी भें क्राॊततिायी गततववर्धमों ऩय ऩड़ा। बीभा

नामि, ख्वाजा नामि व तात्मा टोऩे ने इस ऺेत्र भें क्राॊतत िो आगे फढामे यखा औय मह सॊग्राभ इस

ऺेत्र भें 1868 ई. ति चरता यहा।

1880 -1894 ई. िे भध्म फड़वानी याज्म

िा प्रशासन इन्रजीतमसॊह िे हाथों भें यहा था

जजनिा िोई ववशेष प्रबाव फड़वानी रयमासत ऩय नहीॊ ऩड़ा।

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VOLUME: 10, Issue 03, Paper id-IJIERM-X-III, June 2023

27 बड़वानी ररयासत का आधुतनकीकरण

फड़वानी रयमासत िा आधुतनिीियण िा श्रेम याजा

यणजीतमसॊह व देवीमसॊह िो जाता है। 1894-1930 ई. ति फड़वानी याज्म िा प्रशासन याणा

यणजीतमसॊह द्वाया किमा जाता यहा था। इनिे

शासनिार भें फड़वानी याज्म ने िई भहान उऩरजब्धमाॉ अजजित िी जो अन्म याणाओॊ नहीॊ िी

थी। यणजीतमसॊह जजस सभम याजा फने थे तफ फड़वानी िा ऺेत्रपर भात्र 1178 वगि 9 भीर व याजस्व 20 हजाय रू. था। सन् 1918 ई. भें स्टेट

िेबफनेट िे प्रमत्नों से याजस्व फढिय 60 हजाय रूऩमे हो गमा। मह इनिी सफसे फड़ी उऩरजब्ध थी। सन् 1914-1918 ति ई. िे फीच हुए प्रथभ ववश्व मुद्ध भें याणा यणजीत मसॊह व्मजततगत रूऩ से एम्फूरेंस पोसि, फ्ाॊस पेरेन्डसि औय भेसोऩोटेमभमा भें सेवाएॊ िी इस िायण उनिी

फड़वानी ऺेत्र भें उनिी रोिवप्रमता िापी फढ गई थी उनिी इन भहान सेवाओॊ िे िायण उन्हें येंि

ऑप िेप्टन िी उऩार्ध दी गई। यणजीत मसॊह िो

रेजजन ऑप फ्ाॊस िे सम्भान से नवाजा गमा।

बब्रटटश सयिाय द्वाया याणा िो मोद्धा िे

रूऩ भें िे. सी. आम. इ. िी उऩार्ध से नवाजा गमा

इन सायी फातों िा प्रबाव तात्िामरि याजनीतति

व प्रशासतनि गततववर्धमों ऩय ऩड़ा। सन् 1915 से

1926 ई. िे भध्म फड़वानी याज्म िा याजस्व जो

ऩूवि भें 60000 रु. था व फढ़िय 6 से 11 राख हो

गमा। इस तयह जनता िा आर्थिि स्तय ऊॊचा

उठने रगा। आवश्मितानुसाय जनता िो बू

याजस्व वसूरी भें मशर्थरता बी दी जाती थी।

याजा यणजीत मसॊह िे प्रशासन िार भें

फड़वानी याज्म िा फहुत वविास भुख्म रूऩ से

र्चकित्सा सुववधा, रोितनभािण व मशऺा िा

फड़वानी याज्म भें हुआ फहुत जजसभें अर्धि

वविास हुआ। रयमासत भें प्राचीन ऩाठ्मक्रभ िे

स्थान ऩय नवीन ऩाठ्मक्रभ याज्म भें 1899 ई. भें

प्रायॊब हुआ। फड़वानी याज्म िा प्रथभ हाईस्िूर 1863 ई. भें आयॊब हुआ जो िरित्ता

ववश्वववद्मारम से सॊफॊर्धत था।11

िृवष िा वविास बी इनिे शासन िार भें अऩने चयभ ऩय था, जजससे याज्म िी आर्थिि

शजतत िा वविास हुआ। इसिे अरावा सेना,

ऩुमरस व अन्म ऺेत्रों भें बी याणा यणजीतमसॊह ने

वविासात्भि व सृजनात्भि िामयो िो टदशा प्रदान

िी थी।

फड़वानी रयमासत िे अॊततभ प्रशासि

याणा देवीमसॊह 1930-1948 ई. ति थे। इनिे

प्रशासतनि प्रमशऺण िी जजम्भेदायी बब्रटटश शासन ने री थी, इनिे मरए मूयोऩीमन ट्मूटय ( ऩढाने

वारा) िनिर भेिे, किटकिॊग व गुड ववश िो

तनमुतत किमा गमा। इनिा न्मातमि व सैतनि

प्रमशऺण व अन्म मशऺा इन्दौय वभहू येमसडेन्सी भें

हुई।

देवीमसॊह िे प्रशासन िार भें प्रशासन िा

एव याज्म िा चहुभुखी वविास हुआ औय जनता

िा बी अऩाय सहमोग मभरा। इनिे द्वाया

न्मातमि ऺेत्र भें फहुत ज्मादा सुधाय किमा गमा।

इनिे शासन िार भें फड़वानी भें अनेि िोटि िा

तनभािण हुआ। शासि द्वाया सबी िो सभान न्माम मभर सिे, इसिे मरए िुछ खास िानून उनिे द्वाया फनवामे गमे जैसे- एग्रीिल्चय रयमरप एतट, फड़वानी स्टेट प्रोववजन ऑप भेरयज बफटववन ओल्ड भैन एण्ड मभनयगल्सि, द फड़वानी स्टेट भुतता यामिेशन एतट, द स्ऩेशर भेरयज एतट, द चाईल्ड भेरयज एतट, द डडसोरेशन ऑप भुजस्रभ भेरयज एतट (1936), द िास्ट डडजाबफरीटटस रयभोवर एतट व द टहन्दू ववभेन्स याइट टू प्राऩटी

एतट (1937)।

देवीमसॊह िे शासन िार भें न्माम व्मवस्था व प्रशासतनि िामयो िो सुचारू रूऩ से

चराने िे मरए ऩुमरस ववबाग नमा सॊगठन किमा, जजसभें याज्म िा दीवान ऩुमरस ववबाग िा

अध्मऺ होता था।" इस प्रिाय 1948 ति याणा

देवीमसॊह ने प्रशासन ियते हुए फड़वानी याज्म 14 प्रशासन अर्धिाय सॊमुतत बायत सयिाय िो सन्

1948 ई. भें सुऩुदि िय टदमा।

इस प्रिाय याणा देवीमसॊह िे प्रशासतनि

िार भें अनेि सुधाय हुए, जजनिा राब आज वतिभान फड़वानी जजरे िो बी मभर यहा है। इस

ऺेत्र िी जनता भें आज बी याणा शासिों िे प्रतत सहानुबूतत िी बावना है। इन प्रशासिों िा जजरे

िी याजनीतत ऩय िभ प्रबाव टदखाई देता है। इन याणा शासिों िे वशॊज फड़वानी ऺेत्र भें तनवास

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28 नहीॊ ियते है। इस िायण आभ रोग उनिे वशॊजों

से अफ ऩरयर्चत नहीॊ है औय ऺेत्र िी वतिभान याजनीतत भें बायी उथर ऩुथर हुई है।

राष्ट्रीय आंदोऱन में बड़वानी का योगदान

सन् 1857 ई. भें बायतीम जनभानस िे भन भें

बब्रटटश प्रशासिों िे ववरूद्ध प्रथभ स्वतॊत्रता सॊग्राभ प्रायॊब हुआ। इस प्रथभ क्राॊतत िी रऩटे बायत भें

रगबग चायों ओय पैर चुिी थी ऐसी जस्थतत भें

ऩजश्चभ तनभाड़ िा फड़वानी ऺेत्र भें इस क्राॊततिायी

आॊदोरन से अछूता नहीॊ यहा। इसिा प्रभुख िायण अॊग्रेज शासन द्वाया आर्थिि शोषण िे साथ साथ देशी रयमासतों िो ऩयाजीत िय अऩने साम्राज्म भें

मभराना शुरू किमा। ऩरयणाभ स्वरूव बायतीम जनभानस शासन िे ववरूद्ध खड़ा हो उठा। इसे

प्रथभ स्वतॊत्रता सॊग्राभ िा नाभ टदमा जाता है।

इस भहान सॊग्राभ भें फहादुय शाह जपय, नाना साहफ, रक्ष्भीफाई, तात्मा टोऩे, फेगभ हजयत भहर, िुॊवयमसॊह, अभयमसॊह, याव तुल्रायाभ, याव गोऩार िृटण, बीभा नामि व ख्वाजा नामि

(फड़वानी रयमासत भें प्रथभ क्राॊततिायी) एवॊ इनिे

साथी सुयततमा र्गय, बवानी शॊिय छोटू भसतान, खुशार, नाथुमसॊह, तनभरा नामि एवॊ रूस्ततनस मह सबी फड़वानी भें क्राॊततिायी आॊदोरन भें सक्रीम बूमभिा एवॊ आत्भ फमरदान ियने वारे याजनीतति

क्राॊततिायी थे। तनभाड़ िे इन अमशक्षऺत िहे जाने

वारे आटदवामसमों भें क्राॊतत िी अबूतऩूवि चेतना

िा सॊचाय हुआ। उन्होंने अऩने ऩयम्ऩयागत शस्त्रों

से अॊग्रेजों िी चुनौती िो स्वीिाय किमा औय साभना किमा। ऩजश्चभ तनभाड़ ऩय 1823 - 1854 ई. ति ग्वामरमय सॊर्ध िे अनुसाय इस्ट इॊडडमा

िॊऩनी िा अर्धिाय यहा, जजसिा याजनीतति

सॊचारन एवॊ प्रशासन इन्दौय येजजडेन्सी द्वाया

किमा गमा।

1854 ई. भें मह सॊऩूणि ऺेत्र िेन्रीम बायत

िे वामसयाम िे एजेन्ट िे सवयो च्च तनमॊत्रण भें

यहा। मद्मवऩ जजरे िा प्रफॊध एि अर्धिायी िो

सौऩा गमा एवॊ उसिा प्रशासतनि भुख्मारम भहेश्वय घोवषत किमा गमा। इस सभम फड़वानी

रयमासत िे रूऩ भें ववद्मभान था।

फड़वानी रयमासत भें अॊग्रेजों िा आगभन भोहनमसॊह द्ववतीम (1794 - 1839) िे शासन भें

हुआ। भोहनमसॊह भयाठों िे आक्रभणों से ऩयेशान था। इस िायण उसे बब्रटटश शासन िार से

याजनीतति सभझौता ियना ऩड़ा औय फड़वानी ऩय बी बब्रटटश हुिुभत िा प्रबाव आयॊब हो गमा।सन्

1823 से 1854 ई. भें इस्ट इॊडडमा िॊ. िा शासन तनभाड़ ऩय चर यहा था, उस सभम फड़वानी याज्म

िे प्रशासि भहायाजा जसवॊतमसॊह (1839 - 1880) थे। इनिे शासन िार भें ही फड़वानी रयमासत भें

प्रथभ स्वतॊत्रता सॊग्राभ हुआ।

क्राॊततिायी गततववर्धमों िो असपर ियने

िे मरए अॊग्रेजों ने याणा जसवॊतमसॊह िी िापी

भदद री ऩयॊतु एि तथ्म से स्ऩटट होता है कि

जसवॊतमसॊह िेवर ऊऩयी भन से अॊग्रेजों िा साथ दे यहे थे, जजसिे िायण अॊग्रेज जसवॊतमसॊह से

असॊतुटट हो गमे औय 1861 ई. भें जसवॊतमसॊह िो

अमोग्म घोवषत िय टदमा गमा औय उन्हें गद्दी से

हटा टदमा गमा, ऩयॊतु क्राॊतत दभन िे फाद भें

1873 ई. भें जसवॊतमसॊह िो ऩुन मोग्म घोवषत िय उसे फड़वानी िा शासि फना मरमा गमा।

फड़वानी िे ख्वाजा नामि नाभि

क्राॊततिायी द्वाया फॊफई आगया भागि ऩय जस्थत टेरीग्राप िे ताय िाटिय प्रभुख भागि ऩय अॊग्रेजों

िे खजानों िो रूटा तथा तनभाड़ िे िुछ स्थानों

भें बी रूटभाय भचािय अॊग्रेजों िे ववरूद्ध ववरोह किमा था।

जजरे िे प्रबायी अर्धिायी िेप्टन किटटॊग

िो ववऩल्व िा ऩहरा रऺण उस सभम दृजटट गोचय हुआ जफ इन्दौय िी ओय से एि गाॊव से

दूसये गाॊव िो चऩाततमाॉ बेजी जा यही थी। तनभाड़

िे सबी ऺेत्रों भें उस सभम ति शाॊतत फनी यही, जफ ति मह सभाचाय नहीॊ मभरा कि औयॊगाफाद भें हैदयाफाद रयसारा नम्फय 1 भें ववरोह िय टदमा

औय वह फुयहाऩुय से होता हुआ उत्तय िी ओय जाने वारे है। फड़वानी रयमासत भें क्राॊततिाय गततववर्धमाॉ अॊग्रेजों िी पूट डारों औय याज ियों

िी नीतत िा ही ऩरयणाभ यही । ऺेत्र भें अॊग्रेजों ने

तभाभ बीरों िो एिबत्रत िय मुद्ध िे मरए तैमाय यहने िो िहा औय शत्रु िो भायने ऩय 25 रु. ऩुयस्िाय बी देने िो िहा, किन्तु बीरों ने अॊग्रेजों

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िी औय से रड़ने से भना किमा, ऩरयणाभत्

अॊग्रेजों ने बीरों िो सुयऺा चौकिमों से हटा

मरमा।18

बड़वानी राज्य व तात्या टोऩे

नवम्फय 1857 ई. भें तात्मा टोऩे व याव साहफ ने

10 हजाय आटदवासी क्राॊततिायी मसऩाटहमों िो साथ रेिय एि प्रबावशारी पौज तैमाय िी, इनभें भुख्म रूऩ से नवाज येहभत, िभानी वारा, सत्ताय खान, जावया वारा, याधो ऩन्त, दाभोदय ऩन्त, फासवा याव शास्त्री तथा रार ऩुयी वारा फाफा प्रभुख थे।

इस तयह 25 नवम्फय 1858 ई. िी शाभ

िो तात्मा टोऩे व उनिा दर फड़वानी याज्म ऩहुॊचा। इस सभाचाय िो सुनिय याणा जसवॊतमसॊह सतऩुड़ा िी श्रेणणमों भें बाग गमा, ऩयन्तु याजा िो

फाद भें फॊदी फना मरमा गमा, तो उससे ऩवितीम

ऺेत्र भें जाने व नभिदा ऩाय ियने िा यास्ता ऩूछा।

इस प्रिाय याजा ने जफ तात्मा टोऩे िे सवारों िा

जवाफ दे टदमा तो उसे छोड़ टदमा गमा। उसने

अॊग्रेजी शासन िो सभाचाय देने िे मरए एि सॊदेश वाहि ऩहुॊचामा, ऩयॊतु वह ऩिड़ मरमा गमा। इस तयह से तात्मा टोऩे अऩनी पौज िे साथ बीरखेड़ा

ऩहुॊचा जहाॊ से उसे नभिदा नदी ऩाय ियना थी।

बीरखेड़ा भें ऩहरे से ही अॊग्रेज सैतनि

भौजूद थे अत् तात्मा टोऩे अऩने आऩ िो याजऩुय एवॊ बीरखेड़ा भें तघया भहसूस िय यहा था।

इसमरए उन्होंने तत्िार नभिदा नदी ऩाय िी

ऩयन्तु दूसये किनाये ऩय र्चखल्दा भें अॊग्रेज सैतनिों

ने उन ऩय आक्रभण िय टदमा अचानि हभरे िे

िायण उनिे नव दस क्राॊततिायी भाये गमे इस सभम िेप्टन इरफटि बीरखेडा ऩहुॊचा, ऩयन्तु 21 वह नभिदा नदी िो ऩाय नहीॊ िय ऩामा। इसिे

ऩश्चात् फड़वानी नयेश िो अॊग्रेजों ने दजण्डत किमा

औय उसे अऩने ऩद से हटा टदमा। ऩयन्तु क्राॊतत दभन िे ऩश्चात् उसे ऩुन् याजा फना टदमा गमा।

बीभा नामि फड़वानी याज्म िे बीरों िा

वशाॊनुगत नेता था। बीरों िे भुणखमा व उसिे

सार्थमों िो फड़वानी याज्म िी ओय प्रततभाह एि

तनजश्चत धन यामश प्रदान िी जाती थी।23 फड़वानी याज्म बीभा नामि िो 1852 ई. भें 50 रू. प्रतत भाह सतऩुड़ा व गोई नदी िे अॊचर

भें शाॊतत व मातामात िो सुचारू रूऩ से फनामे

यखने िे मरए प्रदान ियता था, ऩयतु बब्रटटश शासन िे िहने ऩय मह यामश 38 रु. िय दी । बीभा नामि व ख्वाजा नामि अऩने 4 हजाय अनुमातममों िे साथ तात्मा टोऩे िी भदद िी व बब्रटटशों ने इस क्राॊततिायी गततववर्ध िो योिने िे

मरए 9 वीॊ इन्ऩन्री िे 27,00 मसऩाही सूयत से

तत्िार भॊगवामे ।

बीभा नामि िी क्राॊततिायी गततववर्धमों

िा अन्त ियने िे मरए अॊग्रेज सैतनि 24 अर्धिायी आय. एच. िोटटॊग्ज 218 सैतनिों िो

रेिय आगे फड़ा इस प्रिाय बीभा नामि औय अॊग्रेजों िे फीच धाफा फावड़ी िे ऩास ऩहाड़ी ऺेत्र भें

मुद्ध हुआ ।

13 पयवयी 1859 ई. भें फड़वानी याज्म भें

अॊग्रेजों औय क्राॊततिारयमों भें तनणािमि मुद्ध हुआ जजसभें क्राॊततिायी ऩयाजीत हुए। इस तयह बीभा

नामि िी भाॉ सूयसी व उसिे अन्म सार्थमों भें

सूयमसमार्गय, बवानी शॊिय, छोटू भस्तान, खुशार, नाथूमसॊह, नीभरा नामि, रूस्ततनस ऩय िेप्टन वुड ने देश रोह िा भुिदभा चरािय सजाएॊ भौत दे

दी। अॊतत: बीभा नामि िो बी ऩिड़ मरमा गमा

औय उसे आजीवन िारा ऩानी िी सजा हुई।

इस तयह से प्रथभ स्वतॊत्रता सॊग्राभ भें

सॊऩूणि देश िी धधिती ज्वारा िो ऺेत्र िे

आटदवामसमों ने बी प्रज्वमरत यखा। इस सॊग्राभ िी

एि ववशेषता मह यही, कि मह 1865 ई. ति ऺेत्र भें चरता यहा। औय शामद इसी िायण अॊग्रेजों ने

1868 भें सॊऩूणि तनभाड़ (फड़वानी सटहत) होरियों

िो दे टदमा।

होऱकरों को तनमाड़ का अन्तरण

1868 ई. भें तनभाड़ जो इस सभम ति अॊग्रेजों िे

अर्धिाय भें था उसे होरिय याज्म िे प्रशासिों

िो सौऩ टदमा गमा। होरियों द्वाया दक्षऺण भें

तथा अन्मत्र धारयत िुछ बूमभ िे फदरें मह उन्हें

प्राप्त हुआ। औय तफ से 1948 ई. ति भध्म बायत

िे तनभािण िे सभम ति होरियों िे अर्धिाय भें

यहा।

होरियों िो प्राप्त आॊतरयि ऩजश्चभ तनभाड़ दो ऩृथि जजरों भें ववबाजजत किमा गमा

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30 जजनिे भुख्मारम भण्डरेश्वय औय खयगोन भें थे।

फड़वानी रयमासत खयगोन जजरे भें शामभर थी।

1904 ई. भें प्रशासतनि व्मवस्था िा ऩुनगिठन किमा गमा, जजसभें भण्डरेश्वय िो खयगोन भें

शामभर िय एि जजरा फना टदमा गमा। इस प्रिाय ऺेत्र भें प्रशासतनि दृजटट से 16 ऩयगनों िी

अऩेऺा इनिी सॊख्मा घटिय 11 हो गई। एि फाय ऩुन् 1908 ई. भें ऩुनगिठन िे ऩरयणाभस्वरूऩ ऩयगनों िी सॊख्मा िेवर 8 यह गई।26

1926 ई. भें तुिोजीयाव तृतीम ने अऩने

वमस्ि ऩुत्र मशवॊतयाव िे ऩऺ भें मसॊहासन त्माग टदमा। व 1930 ई. भें उसिे याज्म बाय सॊबारा इस प्रिाय सॊऩूणि होरिय प्रशासन बायत सॊघ भें 1948 भें ववरीन िय टदमा गमा तथा वह भध्म बायत

िा एि सॊघटि अॊग फना। वतिभान ऩजश्चभ तनभाड़ जजरे िा गठन ववमबन्न छोटे छोटे बागों

िो मभरािय किमा गमा। इस सभम फड़वानी

रयमासत िे प्रभुख शासि जसवॊत मसॊह 1839 - 1880 ई. ति, इन्रजीतमसॊह 1880-1894 ई. ति, यणजीतमसॊह 1894-1930 ई. ति व याणादेवी मसॊह 1930-1948 ई. ति फड़वानी रयमासत िे शासि

यहे।27

1857 के ऩश्चात् राष्ट्रीय आंदोऱन और बड़वानी

फड़वानी याज्म िी स्वतॊत्रता प्रेभी जनता ने

मद्मवऩ याटरव्माऩी स्वतॊत्रता सॊग्राभ भें फहुत िभ मोगदान टदमा ऩयॊतु ऺेत्र भें याजनीतति जागृतत

िा उदम अवश्म होने रगा था। भारवा औय तनभाड़ भें याजनीतति चेतना औय जन-जागृतत िा

श्रेम - ववश्वनाथ, िाशीनाथ (फड़वानी), फैजनाथ (भण्डरेश्वय) मे तीनों गाॉधी जी एवॊ ववनोबा बावे

िे िट्टय अनुमामी थे।

तनभाड़ भें प्रजाभॊडर व िाॊग्रेस िी नीॊव यखने औय इनिे मसद्धान्त िो दूय दूय गाॊवों ति

प्रचारयत ियने भें अहभ बूमभिा तनबाई। होरिय रयमासत भें 1920 से 1921 ई. ति बायतीम याटरीम िाॊग्रेस िी शाखाएॊ स्थावऩत िी गई ऩजश्चभ तनभाड़ भें उस सभम वी.सी. सयवटे व बारेयाव ने भ्रभण बी किमा था। प्रजा भॊडर ऩरयषद िी याज्म भें सकक्रम बूमभिा यही। इस

िायण बानुदास शाह व डॉ. व्मास िो इन्दौय भहायाजा ने याज्म से तनवािमसत िय टदमा।

1920 ई. भें भहात्भा गाॊधी द्वाया अणखर बायतीम याटरीम िाॊग्रेस िे नेतृत्व भें सॊऩूणि बायत भें असमोग आॊदोरन िी घोषणा िी जजसिा देशी

रयमासत ऩय िभ प्रबाव यहा। ऩयन्तु 1930 ई. भें

गाॊधी जी द्वाया चराई गई दाॊडी मात्रा िा जफ बब्रटटश सयिाय ने दभनिायी नीतत अऩनाई तो

उसिा ववयोध खयगोन, फड़वानी, भण्डरेश्वय, फड़वाह व सनावद भें बब्रटटश सयिाय िे ववरूद्ध प्रदशिन किमा गमा। 1938 ई. िे फाद प्रजा भॊडर रयमासत

िी अवाभ िा प्रतततनर्धत्व ियने वारा एि सुदृढ़

याजनैतति सॊगठन फन गमा।

1939 ई. भें द्ववतीम ववश्वमुद्ध िे सभम प्रजा भॊडर ने साम्राज्म ववयोधी गततववर्धमों िो

नमा रूऩ प्रदान किमा। प्रजा भॊडर िा एि

अर्धवेश ऩजश्चभ तनभाड़ भें हुआ इसिे अध्मऺ

वी. सी. सयवटे थे।

1942 ई. भें बायत छोड़ों आॊदोरन प्रायॊब हुआ ऐसी जस्थतत भें ऩजश्चभ तनभाड़ बी आॊदोरन भें शामभर हुआ। महाॉ िी याजनीतति जस्थतत 1942 ई. भें जजतनी गॊबीय औय जटटर हो गई थी

उतनी शामद ऩहरे िबी नहीॊ हुई। इस प्रिाय प्रजा

भॊडर भें स्वाधीनता प्राप्त भें भहत्वऩूणि बूमभिा

तनबाई स्वतॊत्रता सॊग्राभ भें जनता िो न िेवर बब्रटटश शासन अवऩतु देशी याजाओॊ से बी सॊघषि

ियना ऩड़ा। इस प्रिाय स्वतॊत्रता सॊग्राभ भें

फड़वानी याज्म िी भहत्वऩूणि बूमभिा यही।

ऩुनगगठन से ऩूवग मध्य प्रदेश राजनीततक एवं

बड़वानी की जथथतत

वतिभान भध्म प्रदेश िा जन्भ बायत िे स्वतॊत्र होने िे ऩश्चात् 1 नवम्फय 1956 ई. िो हुआ।

बब्रटटश शासन िार भें सेन्रर प्राववन्स व फयाय नाभि प्रान्त था, उसिा ववस्ताय ही वतिभान भध्म प्रदेश है। सेन्रर प्राववन्स भें भहािौशर औय फयाय

िे जजरे सजम्भमरत किमे गमे तथा इनिे फीच फीच भें फघेर खण्ड व छत्तीगढ िी अन्म छोटी- छोटी रयमासतें थी, जो सॊमुतत रूऩ से सेन्रर इॊडडमा िे नाभ से जानी जाती थी।

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31 1947 ई. भें सेन्रर प्राववन्स फयाय भें

फघेर खॊड एवॊ छत्तीगढ़ रयमासत िो मभरािय भध्म प्रदेश िा याज्म फनामा जो ए. श्रेणी िा

याज्म था औय जजसिी याजधानी नागऩुय थी।

उत्तय भें जस्थत रयमासतों िो मभरािय ववॊध्म प्रदेश फनामा गमा जजसिी याजधानी यीवा थी।

भध्म प्रदेश िे ऩजश्चभ भें जस्थत रयमासतों िो

मभरािय भध्म बायत िी फी श्रेणी याज्म फनामा

गमा, इसिी याजधानी ग्वामरमय व इन्दौय थी एवॊ

वतिभान फड़वानी जजरा इसी फी श्रेणी याज्म भें

शामभर था। बोऩार उस सभम सी श्रेणी िा एि

अरग याज्म था।

वस्तुत: किसी बी ऺेत्र िी याजनीतत उसिे

इततहास िे द्वाया प्रबाववत होती है। जजसभें

याजनीतति, आर्थिि औय साॊस्िृतति तत्व प्रधान होते है, इन ववमबन्नताओॊ िा प्रबाव हय ऺेत्र िी

याजनीतत ऩय दृजटट गोचय होता है। भध्म प्रदेश िी

याजनीतत भें बी िई घटि तत्व शामभर है, जजनिा ऩरयचम प्राप्त ियना आवश्मि है।

तनष्ट्कषग

फड़वानी जजरे िी याजनैतति ऩरयजस्थततमों िे

ऩरयप्रेक्ष्म भें ववगत तीन चुनावों िा वववयण प्रस्तुत किमा है जजसभें फड़वानी जजरे िी ववधानसबा, सॊसद तथा ऩॊचामतों िे तनवािचन िो मरमा गमा है

जजससे जजरे िी याजनैतति जस्थततमों िो स्ऩटट

ियने भें सहामता होगी।

तनवािचनें भें तनवािचत सदस्मों िा वववयण टदमा गमा है औय उनिी तनवािचन िी जस्थततमों

ऩय बी प्रिाश डारा है। ववधानसबा तनवािचन सबी

चाटों ववधानसबाओॊ भें अजजा िे ही तनवािर्चत प्रतततनर्ध है जजसिी दरगत जस्थतत िा बी

ववश्रेषण किमा गमा है। जजरे भें िाॊग्रेस औय बाजऩा िा तो िबी बाजऩा िा दर ववजम हुआ है। सॊसद िी जस्थतत ऩरयसीभन िे िायण फदरी

है। ऩूवि भें फड़वानी िे साथ धाय जजरा सॊमुतत रूऩ से तनवािर्चत यहा है। ऩरयसीभन िे ऩश्चात्

फड़वानी औय खयगोन िे रूऩ भें सजम्भमरत यहे हैं।

जजरे भें ऩॊचामत तनवािचन िी सन्

2009-2010 िी जस्थतत ऩय प्रिाश डारा है।

वतिभान भें 1014-15 भें नवीन तनवािचन होगा। वषि

2009-10 भें िुर 6 सयऩॊचों िा वववयण प्रस्तुत किमा है। जजरे भें अर्धिाॊश तनवािर्चत सयऩॊच बाजऩा िे है जजसभें 208 सयऩॊच भटहरा

प्रतततनर्धमों िो है। मद्मवऩ भटहरा तनवािर्चत प्रतततनर्ध ववशेष रूऩ से याजनैतति दृजटट से

सकक्रम नहीॊ है। अर्धिाॊश तनवािर्चत भटहरा सदस्म ऩदािप्रथा िे िायण तनवािचन िामि भें सकक्रम नहीॊ

है। अर्धिाॊश भटहरा सदस्म अमशक्षऺत है, जजससे

वे ऩॊचामतों िी िामिप्रणारी िो बरीबाॉतत नहीॊ

सभझ ऩाती है।

संदर्ग ग्रन्थ सूची

1. भाहेश्वयी भहेश िुभाय, .प्र. याजनीतत ववववध आमाभ, रूऩा वप्रन्टसि, जमऩुय, 1996

2. जैन नैभीचॊद, बीरी बाषा, ऩृ. 25 3. द टहन्द याजस्थान, ऩृ. 785

4. श्रीवास्तव प्रेभ नायामण, फड़वानी स्टेट गजेटटमय, 1973 बोऩार

5. भारवा मुगान्तय, ऩृ. 85

6. एडमभतनस्रेशन रयऩोटि ऑप द फड़वानी स्टेट, 1909 10 एडमभतनस्रेशन रयऩोटि ऑप द फड़वानी स्टेट, 1915, ऩृ. 15-16

7. फड़वानी स्टेट गजेटटमय, 1908, ऩृ. 84 12 द नयेश िोटि, याधाकिशन, 1942, ऩृ. 1 13 वही, ऩृ. 15-16

8. फैग इस्भाईर सम्ऩादन भाहेश्वयी भहेश िुभाय, .प्र. याजनीतत ववववध आमाभ, रूऩा वप्रन्टसि, जमऩुय, 1996, ऩृ. 3

9. भण्डरेश्वय से एस. एस. तनहाय द्वाया िेप्टन आय. एच.

िेटटन िो ऩॉमरटटिर अजस्सटेन्ट इन तनभाड़ िो मरखा

हुआ ऩत्र ।

10. मादव एस. एन., ऐततहामसि धयोहय जो ववतनटट हो यही

है, 1980 मादव एस. एन., बीभा नामि 11. मादव एस. एन. 1987, अभय तनशानी 12. सेन्रर इॊडडमा एजेन्सी ओल्ड रयिाडिस

13. फैग इस्भाईर सम्ऩादन भाहेश्वयी भहेश िुभाय, .प्र. याजनीतत ववववध आमाभ, रूऩा वप्रन्टसि, जमऩुय, 1996, ऩृ.6

14. इन्दौय स्टेट गजेटटमय, 1931, ऩृ. 496 27 श्रीवास्तव प्रेभ नायामण, फड़वानी स्टेट गजेटटमय, 1973 बोऩार, ऩृ. 72- 73

Referensi

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Students can apply logical, critical, systematic, and innovative thinking in the context of the development or implementatio n of science and technology with score at least 76.25