• Tidak ada hasil yang ditemukan

View of रासायनिक खेती एवं प्राकृतिक खेती के मध्य तुलनात्मक अध्ययन

N/A
N/A
Protected

Academic year: 2023

Membagikan "View of रासायनिक खेती एवं प्राकृतिक खेती के मध्य तुलनात्मक अध्ययन"

Copied!
3
0
0

Teks penuh

(1)

190 INTERNATIONAL JOURNAL OF INNOVATION IN ENGINEERING RESEARCH & MANAGEMENT ISSN: 2348-4918

Peer Reviewed and Refereed Journal

VOLUME: 10, Special Issue 01, (IC-IESP-MULTI-2023) Paper id-IJIERM-X-I, January 2023

रासायननक खेती एवं प्राकृनतक खेती के मध्य तुलनात्मक अध्ययन

दीपाली पाटीदार

1

, नप्रयंका शमाा

2

, डॉ. सुषमा शमाा

3

गृह विज्ञान विभाग, माता जीजा बाइ शासकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय मोती तबेला, आंदौर

1,3

शासकीय कन्या महाविद्यालय, बड़िानी

2

शोध सार :- हमारा देश एक कृवि प्रधान देश है जहां पर 70% कृिक कृवि का कायय कर ऄपना जीिन यापन करते हैं। स्ितंत्रता के

पश्चात भारत की पहली पंच ििीय योजना में कृवि एक प्राथवमक केंद्र वबंदु रहा है जो भारतीय ऄथयव्यिस्था के वलए कृवि के महत्ि को

रेखांवकत करता था। भारत में कृवि अजीविका का प्रमुख स्त्रोत हैं। देश की कुल जनसंख्या 77.3 प्रवतशत भाग गांि में रहता है और गांि

में मुख्य व्यिसाय कृवि है स्पष्ट है वक भारत की राष्ट्रीय अय का सिायवधक ऄंश कृवि एिं संबंवधत व्यिसाय से ही होता है। देश के

महत्िपूर्य ईद्योग कच्चे माल के वलए कृवि पर ही वनभयर है। सूती िस्त्र ऄनाज, चाय का, िनवस्पत तेल, जुट, चीनी, ईदाहरर् है। संसार के

सभी देशों में ईद्योग का विकास कृवि के विकास के बाद संभि हुअ है आस प्रकार औद्योवगक विकास भी कृवि के विकास पर वनभयर है

जैसा वक हम जानते हैं कृवि के विवभन्न प्रकार होते हैं ईन विवभन्न प्रकारों में से शोधाथी द्वारा दो प्रकार प्राकृवतक खेती एिं रसायन खेती

का तुलनात्मक ऄध्ययन करना है। वजसमें प्राप्त पररर्ामों से प्राकृवतक खेती की ओर वकसान को अकवियत करना है एिं प्राकृवतक खेती

की और रूवच बढानाहै वजससे कम से कम लागत पर ऄवधकतम लाभ प्राप्त हो सके।

प्रस्तावना

हमारे देश की अय बहुत सारे स्तोत्र से वमलकर बनी है वजससे कृवि अय प्रमुख है। कृवि का ऄथय भूवम का ईपयोग कर फसल ईत्पादन करने की प्रविया को कृवि कहते हैं। भारत में कृवि के विवभन्न प्रकार हैं वजसमें प्रमुख विवशष्ट खेती प्राकृवतक खेती, जैविक खेती, रासायवनक खेती है। स्ितंत्रता के पश्चात भारत की पहली पंचििीय योजना में कृवि एक प्राथवमक केंद्र रहा है जो भारतीय ऄथयव्यिस्था

के वलए कृवि के महत्ि को रेखांवकत करता था। कृवि अय से तात्पयय भूवम से ऄवजयत धन कृवि भूवम को वकराए पर देने और कृवि ईपज से है। 1961 के अयकर ऄवधवनयम की धारा 10 (1) के तहत कृवि से अय पर कर मुक्त है। शोध ईद्देश्य क्षेत्र प्राकृवतक खेती को

बढािा देना है वजससे कम लागत पर ऄवधकतम लाभ प्राप्त वकया जा सके।

प्राकृनतक खेती का अथा:- प्राकृवतक खेती को भारतीय पद्धवत या सुभाि पालेकर प्राकृवतक कृवि भी कहते हैं। वजसमें कोइ भी

कीटनाशक या रासायवनक खादों का प्रयोग नहीं वकया जाता है। आसमें वसफय प्रकृवत से प्राप्त पेड़, पौधों के पत्ते, खाद, गोबर, गोमूत्र ऄवननस्त्र ब्रह्मास्त्र दशपर्ी कीटनाशकों का ईपयोग वकया जाता है।

रासायननक खेती का अथा:- रासायवनकखेती में विवभन्न रासायवनक कीटनाशकों का प्रयोग वकया जाता है जो कृवि की ईपज बढाने

के वलए प्रयुक्त वकए जाते हैं। यहकीटनाशक प्राकृवतक खाद की तुलना में ऄलग-ऄलग रासायवनक फसलों के वलए खाद ऄलग-ऄलग मुख्यत: यूररया, पोटाश, डीएपी, सुपर फास्फेट, वजंक सल्फेट होता है।

शब्द कुंजी:- रासायवनक, प्राकृवतक खेती, कृवि, फसल, स्िास््य, बीज, खाद, भारतीय पद्धवत ।

उद्देश्य

हमारे शोध का प्रमुख ईद्देश्य प्राकृवतक खेती को प्रोत्साहन देना वजसमें रासायवनक खेती को वकसान कम से कम करें।

हमारे शोध के प्रमुख ईद्देश्य वनम्नवलवखत है -

❖ प्राकृवतक खेती को बढािा देना।

❖ खेती ईत्पादन की लागत में कमी लाना।

(2)

191 INTERNATIONAL JOURNAL OF INNOVATION IN ENGINEERING RESEARCH & MANAGEMENT ISSN: 2348-4918

Peer Reviewed and Refereed Journal

VOLUME: 10, Special Issue 01, (IC-IESP-MULTI-2023) Paper id-IJIERM-X-I, January 2023

❖ कृवि को द्वारा िैज्ञावनक खेती से होने िाले नुकसान की जानकारी प्रदान करना।

❖ प्राकृवतक खेती के प्रवत जागरूकता पैदा करना।

शोध की पररकल्पना:

कोइ भी शोध कायय वबना पररकल्पना के ऄधूरा माना जाता है ईसी प्रकार हमारे शोध पत्र की भी पररकल्पना है।

वनम्नवलवखत पररकल्पना है -

1. रासायवनक खेती से प्राप्त फसल की लागत प्राकृवतक खेती की फसल की तुलना में ऄवधक होती है।

2. वकसानों का प्राकृवतक खेती के प्रवतरूवच कम है रासायवनक खेती की तुलना में।

पररकल्पना का परीक्षण:- प्राप्त जानकारी के ऄनुसार हमारी पहली पररकल्पना वनम्नवलवखत है -

1. रासायननक खेती से प्राप्त फसल की लागत प्राकृनतक खेती की तुलना में अनधक होती है। (सारणी क्रं. 01) फसल के नाम रासायननक खेती प्राकृनतक खेती

रबी फसल - -

डॉलर चना 1,00000 50,000

मक्का 80,000 40,000

खरीफ फसल - -

सोयाबीन 70,000 35,000

कॉटन 1,50,000 60,000

ईक्त सारर्ी में रबी फसल के मुख्य दो फसले डालर चना एिं मक्का की फसल का ऄध्ययन वकया गया है।िही खरीफ फसल में मुख्य दो फसलें सोयाबीन एिं कॉटन है।जबशोधाथी द्वारा पररकल्पना के परीक्षर् करने के वलए वकसानों से जानकारी प्राप्त की गइ वजसमें यह ज्ञात हुअ वक डॉलर चना जो 5 एकड़ में है ईसफसल की लागत 1,00000 रू. खचय हुए िहीं जब प्राकृवतक खेती की गइ तो ईक्त वस्थवत में पर 5 एकड़ 50,000 रू. रुपए ही व्यय हुए।

प्राप्त जानकारी के ऄनुसार प्राकृवतक खेती की लागत कम हुइ रसायवनक खेती की तुलना में ऄतःशोधाथी की प्रथम पररकल्पना वसद्ध होती है। िहीं खरीफ फसलें में सोयाबीन की फसल पर 70000 रू. व्यय हुए है रासायवनक खेती में और प्राकृवतक खेती में 35000 रू. ही लागत लगती है ऄतः रासायवनक खेती की लागत दुगनी हो जाती है। जब यह कम लागत जाने का कारर् जाना

तो प्राप्त जानकारी से ज्ञात हुअ वक प्राकृवतक खेती मेंप्रकृवत से प्राप्त पेड़ों के पत्ते, खाद, गोबर, गोमूत्र ि ईपयुक्त साधनों से ही संभि हो

जाती है। िही रासायवनक खेती के वलए रासायवनक कीटनाशक, खाद, बीजिऄन्य ऄवतररक्त खचे लगते हैं।

2. नकसानों की प्राकृनतक खेती में रुनच कम हैं रासायननक खेती की तुलना में।

प्राकृवतक खेती 10

रासायवनक खेती 90

100 नकसानों से प्राप्त जानकारी के अनुसार

प्राप्त जानकारी के ऄनुसार 90 वकसानों ने रासायवनक खेती में रुवच जताइ जबवक प्राकृवतक खेती में 10 वकसानों द्वारा ही रुवच वदखाइ गइ। प्राकृवतक खेती में कम रुवच जानने का कारर् जाना तो ज्ञात हुअ वक प्राकृवतक खेती के वििय में जानकारी का ऄभाि हैं।

ऄतः प्राकृवतक खेती के वलए वकसानों को जागरूक वकया जाए। समय-समय पर प्राकृवतक खेती से संबंवधत जानकारी प्रदान की जाए। वजससे वकसानों का प्राकृवतक खेती के प्रवत ध्यान अकवियत हो सके।

पररणाम:- शोधाथी के शोध पत्र को शोध की पररकल्पना के ऄनुसार पहली पररकल्पना ‘‘रासायवनक खेती से प्राप्त फसल की लागत प्राकृवतक खेती की तुलना में ऄवधक होती है वजसे सारर्ी िमांक 01 से स्पष्ट वकया गया है वजसके ऄन्तगयत प्राकृवतक खेती की लागत

(3)

192 INTERNATIONAL JOURNAL OF INNOVATION IN ENGINEERING RESEARCH & MANAGEMENT ISSN: 2348-4918

Peer Reviewed and Refereed Journal

VOLUME: 10, Special Issue 01, (IC-IESP-MULTI-2023) Paper id-IJIERM-X-I, January 2023

अधी रासायवनक खेती की तुलना में िही दूसरी पररकल्पना में वकसानों की प्राकृवतक खेती में रूवच कम है, यह सारर्ी िं. 02 में स्पष्ट की गइ सारर्ी से प्राप्त जानकारी के ऄनुसार शोधाथी की दोनों पररकल्पना वसद्ध हो गइ है।

सुझाव

जैसा जानते हैं की भारतीय पद्धवतया प्राकृवतक खेती प्राकृवतक विवध द्वारा ही की जाती है वजसमें प्रकृवत से प्राप्त पेड़ पौधों के पत्ते, जीिऄमृत, ब्रह्मास्त्र का ईपयोग कर पशुपालन तरीके से ही वकया जाता है। िही रासायवनक खेती में रासायवनक कीटनाशक, खाद, बीज का प्रयोग वकया जाता है वजससे स्िास््य ि पयायिरर् पर दुष्ट्प्रभाि पड़ता है और रासायवनक खेती का प्रभाि अने िाली पीवढयों पर भी

होगा तो हमें प्राकृवतक खेती को बढािा देने के वलएविवभन्न कायय करने होंगे।

प्राकृवतक खेती को बढािा देने के वलए सुझाि वनम्नवलवखत है -

● भारतीय पद्धवत / प्राकृवतक खेती का प्रचार प्रसार वकया जाए।

● समय-समय पर प्राकृवतक खेती से संबंवधत जानकारी प्रदान करना।

● लागत में कमी पर जोर देकर प्रोत्साहन देना।

● रासायवनक खेती से ईत्पन्न होने िाली पयायिरर् संबंवधत समस्याओं को बताना िप्राकृवतक खेती के प्रवत जागरूक करना।

● प्राकृवतक खेती 'स्िाद के साथ स्िास््य के वलए बेहतर'।

संदभा ग्रंथ सूची:-

1. एस. अर. कांटिा एिं सी.एम.पररहार एिं ऄन्य, कृवि विज्ञान, न्यू विशाल पवललकेशन,न्यू वदल्ली।

2. डॉ डी.के. वसंह एिं डॉ. िृंदा वसंह (2009) स्िास््य विज्ञान, पंचशील प्रकाशन, जयपुर, पेज नंबर 1-17

Padmasree Dr. Subhash Palekar(2021) global warming and climate change a challenge, Aarohi.

3. डॉ ईमाशंकर वमश्र, प्राकृवतक खेती, िैज्ञावनक तथा तकनीकी शलदािली अयोग।

4. पवत्रका

5. समाचारपत्र

6. https://www.theruralindia.in › what-...

7. https://www.kisanofindia.com/latest-news/zero-budget-natural-farming-how-to-use-jeevamrut-and-beejamrut- in-prakritik-kheti/10681/

Referensi

Dokumen terkait

Climate change is currently a global problem caused by environmental damage. It is necessary to preserve the environment through adaptation and mitigation efforts. The climate

425 INTERNATIONAL JOURNAL OF INNOVATION IN ENGINEERING RESEARCH & MANAGEMENT ISSN: 2348-4918 Peer Reviewed and Refereed Journal VOLUME: 10, Special Issue 01, IC-IESP-MULTI-2023