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न न ल खतअ ययनम वासीमजदूर के लएएकपारगमनशहरके पम, पि चमबंगालकेउ र भागके

एकशहर सल गुड़ीकापताचलाहै।यहहमेशा वा सय केशहरके पममानाजाता हैहालां क, वासनक कृ तऔर ोफ़ाइलमकाफ बदलावहुएह।हालां क, सभीखात केअनुसार, बीसवींसद क शु आतमकेवल एकबड़ागांव, इसकेकुछ नवा सय के पमकुछहजारलोग केसाथ, भारतम 1947 म वभाजनकेबाद पड़ोसीदेश के वा सय क आबाद केसाथह सल गुड़ी बदलगयाएकशहरम - कोलकाताकेबादपि चम बंगालमदूसरासबसेबड़ाशहर वशेष पसेहालकेवष मअपनीआबाद कातेजीसे व तारदेखरहाहै। 2001 क जनगणनाकेअनुसार, नवा सय क सं या 1,220,275 थीऔर 2008 मएकऔरअनुमानकेअनुसार, यह आंकड़ा 1,5 9 5,275 मच कादेनेवालाहै।

य य पइस तशतवृ धमसेअ धकांशभारतकेभीतरसेऔर बनादोन केआ वासनकोिज मेदारठहराया

जाताहै, ले कनकमसेकमकहनेके लए, ज मऔरजगहक जगहदोन जगहपर, आ वा सय क जातीय औरसामािजकपृ ठभू मकापतालगानामुि कलहै। , आ वा सय क जातीयताऔरसामािजकपृ ठभू मके

केवलअ व वनीयसंकेतकह। वशेष पसे 1981-1991 केदशककेदौरानजनसं यामअभूतपूववृ ध, सभी

खात वारा, जनसं याघन वकोिजतनी यादाबढ़तीहैउतनीज़मीनपरदबावडालताहै।जनसं याघन वम वृ धभीम लनबि तय क सं यामइसीवृ धसेमेलखातीहै। 1975 म, 36 झु गीबि तय थे, जब क 2003-4 मयहसं या 156 तकपहुंचगई। 1991 क जनगणनाकेअनुसार, सल गुड़ीक जनसं या 21.57

तशतम लनबि तय मरहतीहै, िजनमसेअ धकांशलोग वा सय मरहतेह।

वा सय कोअलग-अलग वभािजत कयाजाताहै।जब क वभाजन (1947) शरणा थय शहरकेक मरहने

वालेकमया यादाकम-से-कमि थतह, शहर गर ब कोरेलवेपट रय केसाथघूमनेवालेकॉलो नय मबसने

औरअपे ाकृतसूखीनद ह। वा सय उ चतम तशतबां लादेशसेआयेथे। बहार, झारखंडऔरओ डशा

(पूवमउड़ीसा) केअपे ाकृतगर बरा य नेपड़ोसीबां लादेशकेलोग के पम यादा वास कयाहै।

प रणाम व प सल गुड़ीम वा सय काशहरबनगयाहैऔर 20 सेअ धकभाषाओंमअसं यजातीयसमूह औरसमुदाय, प काओंऔरसमाचारप काघरशहरसे नय मतआधारपर का शत कयागयाहै।

उ रबंगालकेसू मजगतके पम सल गुड़ीमऔ यो गकबु नयाद बात काअभावहै सल गुड़ीका

शहर करण कसीभीसंबं धतऔ यो गक करणसेमेलनह ंखाताहै।औ यो गक करणक कमीने सल गुड़ीको

एकबाजारशहरबना दयाहै।यह 1960 सेथोक यापारकाक बनगयाहै। द ल म 0.21 क तुलनाम पि चमबंगालमसबसे यादा - त 100 लोग क तीनदुकानह। 1981 केबाद, सीमासुर ाबल, सश सीमा

बाल, भारतीयसेनाऔरवायुसेनाके त ठान स हतकुछमह वपूणरा यसरकारकेकायालय को था पत कयागयाहैया सल गुड़ीम थानांत रत कयागयाहै। ृंखलामनवीनतम सल गुड़ीकाएकपु लसआयु त के पमप रवतनहैऔर 2013 मदोन दोन ह फाबार मउ रका लयंमसरकार स चवालयक थापनाहै।

1962 मचीनकेसाथयु ध, 1965 पा क तानकेसाथयु धऔरअंततः 1971 मपि चमपा क तानऔर बां लादेशके नमाणमयोगदानशहरमशरणा थय का मुख वाह

जैसे-जैसेजनसं याबढ़तीहैऔरशहरफैलताहै, यहआसपासकेचायबागान औरपड़ोसी े कोचायमजदूर औरहा शएपरपलायनकरनेऔरआसपासके ामीणइलाक मआगेबढ़नेके लएउकसाताहै।

शहर-से- ामीण वासशीलुगुड़ीकेशहर करणक व श ट वशेषताओंमसेएकरहाहै। शास नक पसे, ये

े 'जोड़े े ' के पमपुनःवग कृतहोनेकेमा यमसे सल गुड़ीशहरका ह साबनजातेह।इसतरहके

'जोड़ेगए े ' मदा ाम, भ तनगर, फुलाबार, म तगरा, बागडोगराऔर सुकनाशा मलह।शहरमखड़ीफैल

हुईहैऔरतीनबड़ीन दयांह, जैसे कबैलसन, महानंदाऔरती ताआगेभौगो लक व तारके लएसी मत दायरे दानकरतेह।

हा लयासाल म सल गुड़ीमजनसं यावृ धकासंकटहै, जो क 1980 केदशककेउ राधकेबादसेचाय उ योगको वशेष पसेडूअसऔरतेराई े मसामनाकरनापड़रहाहै।डूआरएम 72 चायकेबागान को

आजबीमारमानाजाताहै।डूअसमचायबागान मसेछहबंदहोगएहऔरकईअ यलोग कोबचाएरखनेके

लएसंघषकररहेह।लगभग 3000 थायीकमचार अपनीनौकर खोगएयहांतक कअगरवेखुलेरहतेह, तो

त दन 9 5 पयेकावेतनदु नयामसबसेकमहै।रेडबकसमूहके वा म ववालेतीनउ यानह।रेडबकट ए टेटकेअलावा, सुरे नगरट ए टेटऔरधरनपुरट ए टेटह, जोहालकेवष मबंदहोचुकेह।लगभग 2,200 प रणामके पमखुदकोबचानेके लएछोड़ दयागयाथाअल पुर वारम, दोबा गयां- ढेकलापारा

चायए टेटऔरबांदप त- कईसाल सेबंदकरद गईह।इनपाँचबागान कालगभग 15,000 मक और उनके 45,000 आ त के लएखाताहै।चूं कचायउ योगसंकटकासामनाकरताहै, अबतकशहरके

आस-पड़ोस औरगांव मचायक खेतीकेतहतजमीनभू मडीलर, मोटर, डेवलपसऔरभू ममा फयाके

लए शकारकामैदान दानकरतीहै।के पमचायउ यानतेजीसेगैर- यवहायहोगए, चायबागानकेतहत अबतकक जमीनअबतेजीसे रयायत क कमाईमबदलगईहैऔरशहरके कनारेपरि थतउ यान को

सबसेपहले ेकसहनकरनापड़ा।चंडमोनीट ए टेटएकउ कृ टउदाहरणहै- सल गुड़ीकेबाहर इलाकेमबंद होनेसेपहलेचायमजदूर केबड़ेपैमानेपरबेदखल और व थापनहोगएथे, िजनमसेकईशवकोबंदहोनेसे

पहलेकैजुअल मक मकमहोगएथे।िजनलोग कोबेदखल कयागयाथा, अबसड़कके वपर त दशाम धानसावज नक (खास) भू ममबि तयां (म लनबि तय) मशरणलेल है। सल गुड़ीइस कारदो

आ वा सय केसेटह, य कयहएकदूसरेके खलाफथे।एकतरफ, जोथोकऔरखुदरा यापारमतेजीलारहे

हऔरइसेबाहरसेतरलधनबनातेहऔरइसेउ र बंगालकेबाहरि थतअपनेघर मलेजातेहऔरजोलोग 'बदलते' शहरसेलगातारबेघरहोजातेह

चायबागानबंदहोजानेपरचाय म याकरतेह? बहुतसेलोगभूटानऔरकामक तलाशमअ य थान क या ाकरतेहऔरउनमसेकुछवहांमु य पसेसूखानद केप थर, चूनाप थर शर, डोलोमाइटख नकऔर आगेकेप थर के लएकामकरतेह।दूसर कोअभीभीजी वतचायउ यानमकामखोजनेक को शशकरते

ह।चाय मक ग तशीलताकोगंभीर पसेअव ध कयाजाताहै य कयह यादातरअकुशलमजदूर के

साथ े केबाहरहोनेकेइ तहासकानह ंहोताहै।जोलोगकदमनह ंउठासकतेह, बैलसनऔरदूसर पहाड़ी

न दय केसूखेन दय केप थर सेप थरइक ठाकरतेहऔरउ हठेकेदार कोबेचदेतेह।उनकेहाथमोटेहोते

हऔरउनमसेकईरोग से तहबागान सेम हलाओंको नय मतआधारपरलगभगत कर क जातीहै

िजनलोग कोबंदचायबागान मछोड़ दयाजाताहै (वेनतोत कर करतेहयानह बेचेजातेह) भुखमर और धीमीमौतकेअधीनहोतेह।

शहर गर ब केरोजगारकेसाधन कोजाननामह वपूणहै - अगरकोईभीहोनए वा सय के पमआनेऔर गे टतप रसर मरहनेके लए, अनौपचा रक मक इसीमांग - घरेलू मके लए, घरकेकामके लएदेखभाल के लए, घरेलूअप श टके लएघरेलूअप श ट, वा शंगर, अ धकुशलइलेि कस, लंबरके लएअप श ट

नपटान , औरअ यसेवा दाताओंऔरसबसेमह वपूणअवैध शका रय, नद के कनार सेअवैधचूनाप थर इक ठेआ द - बचौ लय वारा नयं तएक े - जोउनके नयो ताओंऔरएजट के पमकामकरतेह।

अनौपचा रक मकेअ धकांशखराब पसेकुछहदतकभुगतान कयाजाताहै य कवेबहुतह अपने

नयो ताकेसाथश द कोप रभा षतकरनेके लएगर बहऔरकुछहदतकअनौपचा रक वभावकेकारण आं शक पसे। सल गुड़ीथोकबाजारकेलोडरएकउदाहरण दानकरतेह।अ सरनह ं, थोक यापार अपने

गर बीऔरअसंग ठत कृ तकालाभउठातेह।इसके वपर त, सल गुड़ीकेनएअमीरलोग ममु य पसे

लांटस, थोक यापा रय, सेनाऔरसरकार अ धकार, एन.जी.ओ. केक तान, ॉस-बॉडरकेसाथगहराईसेजुड़े

लोग औरकईबारऐसानह ं-लाइससवाले यापारऔरआगेभीजोउनकेरहतेहआमतौरपररा यऔरउसक

एज सय (जैसे सल गुड़ीनगर नगम) वारा दानक जानेवाल जीवनक शहर सु वधाओंपर नभरहुए बना, अपनेशानदारऔरगेटवालेअपाटमटकॉ ले सकेआरामकेभीतररहनेवालेकोअपनेजीवनजीना

चा हए।येबेने ड टएंडरसनकहतेह, 'प व थान' के पम, िजसनेशहरकेसाथअपनेसंबंधको भावीढंगसे

तोड़ दयाहै, इसशहरकेअपनेज टलजीवनकेबाहरकेलोग कोहाथक लंबाईमरखाजाताहै।

एकपारगमनशहरके पम सल गुड़ीमु य पसेदो कारक हंसाके लएएक थायीगवाहरहाहै: एक, सामािजक पसे 'आपरा धक' हंसािजसक वजहसे ॉस-बॉडरआपरा धकनेटवकक कृ तसेजुड़ीहैजो क वष से वक सतहुईहै।दो, एकपारगमनशहरहोनेकेनातेयह कसीभीशहरमअपने नवा सय को

त था पतनह ंकरताहै य कयहघरपर 'बेघर' था।बेघरहोनेक चंताऔरवैि वक यापारकाआकषण और 'नकद वाह' नेशहरकोमातृभू मक मांगकोचुननेके लएएकआदश थलबना दयाहैजोअ सर हंसा

मपड़ताहै। वडंबनायहहै क, सल गुड़ी कसीभीघरके बनामातृभू मदाव केदाव क जगहहै।

सल गुड़ीमजातीय हंसाकाकोईइ तहासनह ंहै, हालां कसतहपरकमजोरशां तकेसंकेतहऔर सल गुड़ीके

सामािजकप र यमगहर चालहोनेवालेउथलेह।एकओर, गोरखाजनमुि तमोचा (जीजेएम) गोरखा े ीय शासन (जीट ए) केअ धकार े म सल गुड़ीकेकुछमौजेकोशा मलकरनेकादावाकरताहै।दूसर ओर, जन चेतनामंचऔरजनजागरणमंचजैसेसमथकबंगाल संगठन कागठन कयागयाहैऔरजीट एमइनमौजे

कोशा मलकरनेका वरोध कयागयाहै।इसकेसाथहाथमहाथ, अ ाअ धकारअमराबंगाल शाखाएंक थत तौरपरउ रबंगालमफैलरहेह।

इससंदभमजबरन वासमसामािजक यायकामु दादोन बेहद ासं गकऔरलगभगअ यहै। ासं गक, य कपारगमनमशहरनेनकेवलउनलोग कोबेदखलकर दयाहैजोनकेवलशहरपरअपनेजीवनऔर आजी वकाके लएसंप नहुएबि कशहरसेउनलोग के लए 'घर' बनातेहजोशहरसेलगभगअनुपि थतह।

सल गुड़ीमअनुपि थ तय के लएजगहहै - ले कनबेघरके लएकोईजगहनह ंहैजबरन वासकेमु देपर जो यायक या याक गईहै, संसाधन औरअवसर क असमानताऔर वासनकेमा यमसेउनतकपहुंचने

के लएवं चतहोनेकेअ धकारपरगहराईसेइशारा कयाहै।वा त वक पसेअ य - य कवैि वक राजनी तकअथ यव थाम द कतआरह है, दोन वा सय नेअपने 'घर' परएकअ ातता ा तक हैजो

जनताकेनजद कऔरजांचसेअ यहोजाताहै।

शहरमशहर गर बऔरअंडर लासरहतेह; ले कनवेनाग रकनह ंह, य कउनकेपास 'शहरकाअ धकार' नह ंहैवेअ सर ू र हंसाकाअनुभवकरतेह - घर क जला, बला कार, जबरनवसूल, पु लसउ पीड़न, पीट, ह या, औरकभी-कभी न कासन।वेखुदकोकानूनी- या यक यि त वके पम था पतकरनाअसंभवपाते

ह, जोअ धकार केसह दावेबनानेकेहकदारह।शहर (याएकपूरेके पमउ रबंगाल े ) अभीतक कसीभी

सामािजकआंदोलनकोसे सवकसऔरमोबाइलम हलाओंके लएसामािजक यायकेमु द केबारेम रपोट नह ं कयाहै, लोडर, पोटरऔरछोटेवेतनअजकऔरअंडरवगके लए, रेलवेके लएऐसेब च, जोत कर के

लएबेहदसंवेदनशीलह, चाय बाग़गारजोअपनीनौकर खोदेतेहऔरशहरमआगेबढ़तेहऔरआगेबढ़तेह।

सभीखात म, वशेष पसेब चेकेमु देपर यायके लएलड़औरमजबूर वासकेम हलापी ड़त को

अ धकतरएनजीओस यतामकमसमाजके कसीभी कारके बना कसीभी कारकेबदलावके लएकम कयाजाताहै।

नरंतरमोबाइल थानऔरआबाद केमंथनमौजूदा त न धसं थान को प टकरनेक अनुम तनह ंदेते - अकेलेएकमा - एकक मांगजब कराजनी तकदल, लॉबीऔर हतसमूह क तरहहमार राजनी तकसं थाएं

ादे शक पसे व य तह, वैसेभीवै वीकरणकेबलऔर याओंके लए यायकेमु द परवा त वक नराशा मकतारह है।हालां कइनबल और याओंने याय-तलाशकरनेवाल कोफैला दयाहै, उ हदु नया

के व भ न ह स केआसपास बखरेहुएह, पी ड़त कोयहमुि कललगताहै - य दअसंभवनह ंहै - उ ह

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